ऐसा जब भी हाे बस चले आना
ऐसा जब भी हाे बस चले आना
तकलीफ़ों की झंकार उठे
आंसू पलकों तक आना चाहे
रुक जाना एक एहसान तो कर जाना
ऐसा जब भी हो बस बताना
पहाड़ों से दिन लगते हो
घनी अजनबी रातें हो
साेच सोच कर परेशान न होना
ऐसा जब भी हो बस बताना
खुशी का नामों निशान नहीं
ग़म ही जब एक पहरा हो
एक प्रयास बस करते जाना
ऐसा जब भी हो बस बताना
रंगहीन जीवन लगता हो
खुदा से केवल शिकायतें हो
तुम भीड़ में अकेले मत होना
ऐसा जब भी हो बस बताना
मुझे सताना मुझे सुनाना
दर्द जो कुछ हो बस बाँटना
रुक न जाना देर न करना
ऐसा जब भी हाे बस चले आना