Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

" एक नये सूरज का उदय "

" एक नये सूरज का उदय "

4 mins
646



कविता मैडम आज सुबह से देख रही थी सुरू कुछ उलझी उलझी सी थी ..अपनी कक्षा की सबसे होनहार लड़की का यूँ ग़ायब दिमाग होना उनके गले से नहीं उतर रहा था,

आखिर जब उनसे ना रहा गया ...तो वो सुरू को बुला कर बोली, " सुरू क्या बात है बेटा सुबह से देख रही हूँ, बल्कि कल भी मुझे लगा था तुम कुछ परेशान हो ...क्या हुआ है बेटा बताओ मुझे "

" नहीं .....नहीं तो मैडम जी ऐसा तो कुछ ना है ...आपको जरूर ग़लतफहमी हुई है "...सुरू जैसे नींद से जागीउसका बयान और उसका भाव बिल्कुल भी मेल नहीं खा रहा था कविता जी ने कुछ देर उसे ध्यान से देखा और बोली ..." लंच टाइम में मुझसे स्टॉफ रूम में आकर मिलना ...." सुरू ने ना चाहते हुए भी हाँ में सर हिला दिया ...और मरे कदमों से अपनी सीट पर जाकर बैठ गयीआज लंच टाइम का इन्तज़ार जाने क्यो कविता जी को बहुत भारी लग रहा थाऔर उनके आश्चर्य की सीमा नहीं रही जब लंच टाइम लगभग खत्म होने वाला था ...और सुरू उनसे मिलने नहीं आयी ...यह पहला मौका था जब उसने नाफरमानी की थीस्टॉफ रूम के सामने से गुजरती दिव्या को देखकर कविता जी ने आवाज़ लगायी, " दिव्या सुनो ज़रा बेटा ...सुरू को देखो कहाँ है जहाँ भी हो उससे कहो की तुरंत मुझे आकर मिले ..."

" जी ठीक है मैडम "

यह कहते हुए दिव्या सुरू की तलाश में निकल गयी, पूरा स्कूल छान लिया पर दिव्या को सुरू मिल ही नहीं रहीं थी ...आखिर वो थक कर वापस जा ही रही थी की बी.टी.सी.के कोने में एक पेड़ के नीचे बैठी सुरू दिख गयीदिव्या ने एक सुकून की साँस खारिज की और सुरू के पास जाकर बोली ... " तुम यहाँ छुपी बैठी हो ...और हम तुमको पूरे स्कूल में ढूँढ रहे थे अब जल्दी चलो कविता मैडम तुम्हारा इन्तज़ार कर रही है ..." सुरू ने जल्दी से अपनी आँखों में भर आये मोटे मोटे आँसुओं को छुपाया और फिर बोली,

" तुम चलो हम आते है ..."

" ठीक है जल्दी आना "

यह कहकर दिव्या पलट गयी ..क्योंकि लंच टाइम खत्म होने की घन्टी बज गयी थीसुरू भी लगभग खुद को घसीटते हुये ..स्टॉफ रूम तक जा पहुंची जहाँ कविता मैडम तन्हा उसका इन्तज़ार कर रही थीकविता जी ने एक बार फिर नजर भर कर सुरू को देखा और बोली ..

" बाहर क्यों खड़ी हो सुरू अन्दर आओ ...कहाँ थी तुम पता है मैं कितनी देर से तुम्हारा इन्तज़ार कर रही थी ..." मैडम की बात सुनकर वो मुँह से तो कुछ नहीं बोली ...पर उसकी आँखों में जतन कर बाँधे गये आँसू बाढ़ तोड़ गये थे

कविता जी ने तुरंत उठकर उसे गले लगाया और फिर उसे धीरे से थपकने लगी ...फिर उसे पानी का ग्लास देकर बोली, " शान्त हो जाओ सुरू पहले पानी पियो और फिर आराम से कुर्सी पर बैठो" मैडम की बात सुनकर सुरू के बहते आँसुओं में लगाम लगी ..अब वो धीरे धीरे सिसक रही थी, " सुरू जब तक बताओगी नहीं की परेशानी क्या है, मुझे कैसे पता लगेगा बेटा ..."

कविता जी ने एक बार फिर सच जानने की कोशिश की, मैडम की बात सुनकर सुरू शून्य में नज़रें जमा कर बोली ...

" आपको पता है मैडम जी..परसों हमें पहली बार पीरियड्स आये ...वैसे तो आप हम सबको सबकुछ बताये ही है ..तो हम ज्यादा नहीं घबराये थे ...पर अम्मा से इस बारे में परसों ही पहली बार बात हुई ...वो तो हम पर पूरी काला पानी की सजा ही लगा दी ...रसोई में नहीं जाना, धुले कपड़ों को हाथ नहीं लगाना और भी ना जाने क्या क्या ...बाकी बातें तो ठीक पर वो हमको हुक्म दी की तीन दिन तक हम नहा भी नहीं सकते ...हमने उनको बहुत समझाया ..की अम्मा हमारी मैडम जी बोली है की ऐसा कुछ नहीं होता तो हमको डपट कर बोली ...

"ज्यादा मैडम मैडम करोगी तो कल से स्कूल जाना बन्द हमारी ही ग़लती है जो हम उस मैडम की बातों में आकर तुमको स्कूल भेज दिये पता नहीं का का उलजुलूल सीखा दी है ..अरे पता भी है इन दिनों नहाने से जब बच्चा होता है तो बहुत परेशानी होती है ....बच्चा मर जाता है ..समझी कोनू जरूरत नहीं तीन दिन नहाने की "

और आपको पता है मैडम जी एक तो इत्ती गर्मी उस पर अम्मा हमको नहाने नहीं दे रही ...हमें तो बहुत सारे छोटे छोटे दाने हो गये है ..."

सुरू की बात सुनकर कविता जी सन्न रह गयी ...आज हम विकास की इतनी बातें करते है ...और कुछ लोग अभी भी इतनी पिछड़ी मानसिकता लेकर बैठे है

कविता जी ने मन ही मन निश्चय किया की उन्हें गाँव की लड़कियों को ही नहीं बड़े बुजुर्गों को भी हर हाल में समझाना ही होगा

और फिर वो सुरू का हाथ थामकर प्रिसिंपल के रूम की तरफ बढ़ गयी ...उन्हें अभी के अभी छुट्टी लेकर सुरू को अपने घर ले जाना था ...और फिर एक नये सूरज के उदय के लिए सुरू के घर भी तो जाना था



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational