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मुकुट

मुकुट

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राजा महेंद्र सिंह जी राकुमार विराज से कहते हैं- अब मै थक गया हूँ, अब तुम दरबान से खेलो।

विराज- नहींं हमें आपके साथ खेलना है। जिद करते हैं। तभी दाई माँ आती है- महराज मुबारक हो आपके कुल में पहली बार कन्या का जन्म हुआ है। शहनाइयाँ बजवाइये, मिठाइयाँ मंगवाइयें।

राजा महेन्द्रसिंह जी तलवार निकालते हैं और दाई माँ का सर धड़ से अलग कर देते हैं। दरबान दाईं माँ की लाश ले जा रहे थे तभी दाई का 10 साल का पुत्र रोता है- मेरी माँ को छोड़ दो मेरी माँ को कहाँ ले जा रहे हो।

राजकुमार विराज- (दाईमाँ के पुत्र को) गुस्ताख़ और राजा की तलवार से उसकी छाती पर तलवार से वार करता है। वह माँ-माँ और तड़प कर मर जाता है दरबान उसकी लाश भी घसीटकर ले जाता है।

राजा- शाबाश विराज तुम मेरी तरह बहादुर और निडर पुत्र जनता को डराओ और राज करो एक भी गर्दन ऊपर नहीं उठनी चाहिए और दोनों रानी के कक्ष में जाते हैं और राजा तलवार निकाल कर कन्या कहाँ है जिसने हमारे राजनियम के विरूद्व जन्म लिया है। हमारे वंश में आज तक किसी कन्या का जन्म नहीं हुआ है हम अभी उसका सर धड़ से अलग कर देंगे।

रानी- महाराज जन्म-मृत्यु ईश्वरीय देन है हमें तो जश्न मनाना चाहिए हमारे लिए गर्व की बात है हमारे यहाँ कन्या का जन्म हुआ है ये हमारे लिए सौभाग्य है।

राजा महेंद्र सिंह- कहाँ है कन्या (तलवार लहराते हुए)

रानी- मैंने उसे जन्म दिया है उसको मारने से पहले आपको मुझे मारना होगा और राजा के पास खड़ी हो जाती है तभी दरबान आकर बताता है जनता विरोध प्रदर्शन कर रही है। अकाल की वजह से जनता महल में घुसने की कोशिश कर रही है।

राजा अब भी कन्या को इधर-उधर ढूंढ रहे हैं।

मंत्री- क्षमा करे महाराज इस वक्त ये कदम अनुचित है आपके लिए परेशानी बढ़ सकती है और राजा चले जाते

वक्त के साथ राजकुमारी रूपा अपने रूप की तरह अपने अच्छे व्यवहार से जनता के बीच लोकप्रिय होती जाती है। महल में पिता-पुत्र कभी उससें बात नहीं। करते थे वो जब भी उनको देखती दोनों उसको खा जाने वाली ऩजरों से देखते, इतना ही नहीं राजा महेंद्र सिंह और राजकुमार विराज और तानाशाही होते जा रहै हैं और जनता के उनसें तंग आ चुकी बगावत के सुर फूट रहे हैं एक दिन राजकुमार विराज एक आदमी को पीट रहा था। राजकुमारी रूपा उसे बचाती है विराज जाकर राजा महेंद्र सिंह से शिकायत करता है। राजा-रानी को भला-बुरा कहते हैं।

एक दिन रात के समय लोग आपस में बतिया रहे थे कि अब राजा और विराज के जुल्म सहे नहीं जाते हम सबको मिलकर राजा का मुकुट छीनकर राजकुमारी को पहना देना चाहिए ठीक उसी वक्त विराज शराब के नशे में वहाँ से गुजर रहा था उसने सब.सुन लिया और वहीं उन सबको मारने लगा।

चाचा बिहारी-तुम्हारे जुल्मों से तंग आ गए हैं तुम बाप-बेटे जितने मारोगे उससें दुगने खडे़ हो जाएंगे

विराज- सैनिकों इन सबको ले चलों और सबको सैनिक ले जाते हैं जब गांव की औरतें सूरज गुस्से से आज राजमहल से राजा और विराज की लाशें आप सबके कदमों में होगी और घोड़े पर सवार होकर जाने लगता है राजकुमारी रूपा सब सुन लेती है और कहती सूरज रुक जाओ तुम ऐसा नहीं करोगे मैं भैया और पिताजी से बात करूँगी लेकिन वो चला जाता है पीछे राजमहल जाती है सूरज को सामने राजा दिखते हैं अपनी तलवार निकालता है तभी राजकुमारी रूपा अपनी तलवार सूरज की गर्दन पर रखती है खबरदार मेरे पिताजी छूने से पहले मेरी लाश से गुजरना होगा। राजा महेंद्र सिह आश्चर्य से रूपा को देखते हैं जिस बेटी को कभी हाथ में नहीं उठाया कभी पुकारा नहीं वो ढाल बनकर खडी़ है वो ग्लानि से भर उठे तभी विराज पकडे़ लोगों को जेल में डालकर पिताजी-पिताजी आपने उस दिन रूपा को मार क्यूँ नहीं मार डाला तभी सामने रूपा को देखकर तलवार से वार करने वाला था। राजा महेंद्र सिह बीच में आ जाते है और रूपा चिल्लाती है आपने ऐसा क्यूँ किया मुझे मर जाने दिया होता।

राजा महेंद्र सिंह- बेटी मैं तुम्हारा गुनहगार हूँ। मुझे माफ कर दो (हाथ जोड़कर) और उनकी गर्दन लुढ़क जाती है। रूपा रोने लगती है तभी विराज दीवार पर लगी तलवार निकालकर रूपा की तरफ दौड़ता है, सूरज चिल्लाता है, राजकुमारी सावधान रूपा साइड हो जाती है हमारी राजकुमारी तक पहूँचने से पहले तुझे सारी जनता का सामना करना होगा।

विराज- ये सिंहासन मेरा है पिता के बाद पुत्र सिंहासन पर बैठता है पुत्री नहीं और पिताजी ने तो इसे कभी अपनी पुत्री ही नहीं माना ये हमारे वंश का कंलक है हमारी किसी पिढ़ी में कभी किसी पुत्री को जन्म नहीं दिया और तलवार रूपा की तरफ करता है तभी सूरज अपनी तलवार विराज की गर्दन पर रखता है सारी जनता सूरज से कहती है विराज को मार डालो हम सिंहासन पर राजकुमारी को ही बिठाएंगे चाहे कुछ भी हो जाए और विराज को मारने दौड़ते हैं।

राजकुमारी रूपा विराज के आगे खड़ी हो जाती है और कहती है आप सब मुझे भावी राजकुमारी मानते हैं इसलिए मेरा हुक्म है आप सब हट जाओ सब हट जाते हैं।

राजकुमारी रूपा- मुझे पता है विराज ने आप सब पर जुल्म किये हैं लेकिन सजा ऐसी होनी चाहिए कि वो बदल जाए और ऐसी सजा होनी चाहिए कि उसकी सोच बदल जाए वो एक अच्छा और नरम दिल बनकर निकले इसीलिए विराज को राज्य के सुधारगृह भेजा जाएगा और  जनता तालियां बजाती है।

प्रधानमंत्री घोषणा करते हैं कि आज से 10 दिन बाद राजकुमारी का राजतिलक होगा सब खुश होते हैं।


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