मोबाइल फीवर

मोबाइल फीवर

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लड़कियाँ साइकिल पर जा रही है और जोर-जोर से गाना गा रही है-

"चलो भूल भूलैयाँ नगर चलें

चलो साजन जी के घर चलें

हा हा हा हा। हँसती हुई पार्क में आती है और अपनी साइकिलें पार्क करती है।

शशि- शिट, यहाँ तो जगह ही नहीं है।

किरण- ये कौनसी नई बात है।

शशि- वही तो, हमेशा की तरह मेरा मतलब बच्चे, बूढ़े, लड़कियां यहाँ तक की औरतें, लड़के कितने आलसी होते हैं।

लविना- हम यहाँ योगा करने आती है कि लड़कों को देखने तू भी ना ! और तीनों योगा करने लगती है।

शशि बीच-बीच में बोलती भी जाती है और हँसती भी जाती है।

लविना- (शशि से) अरे यार हम एक घंटे के लिये तो आते हैं, पोन घंटा तो तू खी-खी में निकाल देती है ना योगा का फायदा ना वॉकिंग का फायदा।

शशि- अरे मैं भी तो योगा ही कर रही हूँ आज जब रिजल्ट आएगा उसके बाद तो सब बिजी हो जाएंगे तब तक हँस लेते हैं, योगा भी और लाफ्टर थैरेपी हा हा हा।

किरण- हँस ले हँस ले कल से तो तुझे घर ही संभालना है।

शशि- हे भगवान इस कन्या पर हमेशा की तरह कृपा बनाए रखियो वर्ना पापा-मम्मी ने तो मुझे घर बैठा देना है, मुझे अभी शादी नहीं करनी, हे भगवान।

शशि के मोबाइल पर अलार्म बजता है वो उछल कर खड़ी हो जाती है। 8 बज गये, चलो जल्दी घर चले, 10 बजे स्कूल में मिलते हैं, हे भगवान मुझे बचा लेना 5001 का प्रसाद चढ़ाऊँगी।

लविना- डोंट वरी, लाफ्टर थैरेपी है ना किस दिन काम आएगी, जब रिजल्ट हाथ में हो तो उदास मत होना, जोर -जोर से हँसना सारी (हाथ खोलकर)नकारात्मकता दूर हो जाएगी तन-मन उर्जा से भर जाएगा।

शशि- नाराज हो जाती है, मेरा मजाक उड़ा रही है।

किरण- अरे नहीं ! तेरे बिना हमें लाफ्टर थैरेपी कौन कराएगा, तू चिंता मत कर, हम तुझे शादी के मंडप से उठाकर सीधे स्कूल ले आएंगे। फिर तीनों हँसती है फिर अपने अपने घर जाती है।

लविना- मम्मी मम्मी कहाँ हो।

नरेन- अरे बेटा धीरे-धीरे अभी गिर जाती और हमेशा मम्मी मम्मी कभी-कभी पापा को भी आवाज लगा लिया कर।

छाया- वो सब छोड़ो मुझे पक्का यकीन है हमारी लवि टॉप 3 में आएगी।

लवि- उम्मीद तो मुझे भी है पर डर लग रहा है।

नरेन- चिंता मत करो, जल्दी तैयार होकर रिजल्ट लेकर आ तेरे आने के बाद ही मैं ऑफिस जाऊँगा।

लवि- ओ.के. पापा, मैं जल्दी आऊंगी, स्कूल पंहुच कर रिजल्ट लेती है (थोड़ा निराश होती है) टीचर कहती है अभी तुम टॉप 5 में हो 12 में और मेहनत करना तुम कर सकती हो।

लवि-यस मैम बाहर आती है इधर-उधर देखती फिर मन ही.मन में हमेशा की तरह लेट और साइकिल लेके निकल घर आती है।

नरेन- (रिजल्ट देखकर) मजा़ तो तब आएगा जब तुम 12 में टॉप 3 में आओगी।

छाया- वो भी हो जाएगा पहले इस रिजल्ट का तो जश्न मना ले।

नरेन- हाँ हाँ क्यूँ नहीं अभी ले आता हूँ।

छाया- लवि को रसगुल्ले पसंद है वही ले आओ।

लवि- पापा मम्मी आप दोनों बैठो में लेकर आती हूँ तीनों की पंसद की मिठाई मख्खनवडा़।

छाया- वाह वाह मज़ा आ गया इसको कहते है प्यारी बेटी।

लवि- मैं अभी गई अभी आई।

छाया- देख साइकिल थोड़ी धीरे चलाना।

लवि- हाँ मम्मी।

नरेन- लवि थोड़ी और मेहनत करती और अच्छे नम्बर ला सकती थी पर इस मोबाइल की वजह से सारा ध्यान भटक गया है।

छाया- नहीं नहीं सारा सारा दिन पढ़ती रहती है। कितनी कमजोर हो गई है।

नरेन- रोज बादाम खिलाया करो सारा दिन पता नहीं कौनसे कामों में उलझी रहती हो।

छाया- वो सुनती कहाँ है। कभी स्कूल जाना है कभी कोचिंग जाना है कभी मैराथन हर वक्त इधर से उधर भागती फिरती है, टाइम से खाना खा लेती है वो ही बड़ी बात है।

नरेन- तुम्हारे पास हर बात का बहाना तैयार रहता है खाना उसकी पंसद का ही बनाया करो ,इतना तो कर सकती हो।

छाया- सब उसकी पंसद का ही तो बनाती हूँ।

लविना साइकिल चलाकर जा रही थी तभी उसका मोबाइल बजता है वो चलती साइकिल पर फोन उठाती है।

किरण- तेरी तो अपना रिजल्ट लेकर चलती बनी हमारा इंतजार भी नहीं किया।

लविना- सॉरी वो.क्या.है. कि.पापा को ऑफिस जाना था, पापा को रिजल्ट दिखाना था इसलिए जल्दी जाना पड़ा।

किरण- बधाई हो।

लविना- थैंकयू, तुम दोनों की क्या प्रशंटेज बनी।

किरण- मेरी 68 और शशि की 57।

लविना- शशि बच गई।

तभी उसकी साइकिल एक लड़के की बाइक से टकरा जाती है दोनों गिर जाते हैं। लविना गुस्से से- तुम्हें दिखाई नहीं देता बाइक पर हो इसका मतलब कैसे भी चलाओगे।

संजय- लिसन मैडम, मैं तो देख कर ही चला रहा था आप ही फोन पर बात करते हुए चला रही थीं, क्या आपको पता नहीं ड्राइव करना मना है, कोई फेल-वेल का चक्कर तो नहीं है।

लविना- अपनी बकवास बन्द करो मरे मेरे दुश्मन और जाने लगती है।

संजय- एक तो गलती आपकी और मुझे ही सुना रही है। सॉरी बोलने से आप छोटी नहीं हो जाएंगी।

लविना- सॉरी नेवर और चली जाती है।

लविना मिठाई वाले की दुकान पर मख्खनवड़ा आर्डर करती है। दुकान वाला संजय को पैकेट देने के लिए हाथ आगे करता है और संजय पैसे निकाल रहा था। लविना ने झट से पैकेट लिया और पैसे देकर चली गई। संजय गुस्से से ऊसको जाते हुए देखता है।

दुकानदार- आजकल की लड़कियाँ है हवा में चलती है।

संजय- (गुस्से से) इसे तो मैं--काश ये एख बार कहीं मिल जाए ऐसा सबक सिखखाऊँगा कि नानी याद आ जाएगी तभी पीछे से लोग चिल्लाने लगते है जल्दी करो।

दुकानदार- साब आपके चक्कर लम्बी लाइन लग गई। संजय पैकेट लेकर चला जाता है फिर वापस आता है संजय- भैया मैंने तो मख्खनवड़ा मांगा था

दुकानदार- लड़की ने भी मख्खनवड़ा मांगा था इसलिए झपट्टा मार गई।

लविना घर आती है सब मिठाई खाते हैं।

लविना- पापा मेरा गिफ्ट।

नरेन- बोलो क्या चाहिए बेटा।

लविना- मुझे मोबाइल चाहिए।

नरेन- नहीं बिल्कुल नहीं अभी तुम्हारा 12 है, स्कूटर दिला देता हूँ, आने जाने में आसानी होगी स्कूल कोचिंग आने जाने में थक जाती होगी टाइम भी बचेगा।

लविना- नहीं पापा मुझे स्कूटर नहीं चाहिए मुझे कुछ नहीं चाहिए।

छाया- नहीं नहीं तुम जो चाओगी वही मिलेगा

नरेन- इसकी जरूरत नहीं।

छाया- आप बेकार परेशान हो रहे हैं, हमारी बेटी पढ़ाई की अहमियत समझती है।

नरेन- ठीक है लिमिट में यूज करना।

लविना- थैंक्यू पापा।

छाया- तुम्हारा अभी वाला मोबाइल मुझे दे दो तेरे पापा मुझे ले के दे या तुम्हें बात तो एक ही है।

लविना- ओके मम्मी और चली जाती है।

नरेन- तुम समझती नहीं हो सामने मोबाइल होगा तो हाथों में होगी ही आखिर है तो बच्ची ही फिर ध्यान भटकेगा।

छाया- बच्ची है थोड़ी उसकी बात रखी देखो कितनी खुश हो गई।

छाया- अच्छा छोडों ये सब आपको आँफिस जाने में बहुत दे दो गई है हफ लगा है फुल डे छुट्टी लग जाएगी।

संजय घर पहुँचता है हाथ में मिठाई का डब्बा देखकर रेणू ये क्या ले आया।

संजू- मम्मी मिठाई लेके आया हुँ।

रेनू- क्यूँ।

विकास- क्यूँ क्या मन किया ले आया खाओ और खुश हो जाओ कोनसी मिठाई है।

संजू- पापा मख्खनवडा़।

विकास- अरे वाह ! मिठाई खाकर तू मेरा कितना ख्याल रखता है फिर रेनू को तुम भी खाओ।

रेनू- नहीं मुझे नहीं खानी फिर रुककर दो दिन रुक जाते तुम्हें पता था राकेश की शादी है संडे को कार्ड के साथ मिठाई भी आती।

संजू- सॉरी मम्मी।

विकास- बेटा इसमें सॉरी की कोई बात नहीं है फिर रेनू को तुम भी ना यार कभी कभी क्या बोलती हो उसका मन किया ले आया मिठाई ही तो है और तुम्हें नहीं खानी है मत खाओ हमारा स्वाद तो खराब मत करो।

रेनू- आपको तो मेरी हर बात बुरी लगती है और चली जाती है।

विकास- और बेटा पढ़ाई कैसी चल रही है।

संजू- अच्छी चल रही है।

विकास- गुड कोई प्रोब्लम हो तो मुझे बताना।

संजू- आपको नहीं तो और किसे बताऊँगा।

विकास- गुड आज कोचिंग नहीं जाना क्या।

आज एक क्लास कम होगी इसलिए थोड़ा बाद में जाऊँगा।

विकास- अच्छा बेटा में चलता हूँ।

कोचिंग सेंटर में ऊपर जाने के लिए संजय लिफ्ट ऑन करता है जब वो अन्दर जाने वाला था लविना और उसकी सहेलियों के साथ लिफ्ट में चली जाती है।

संजय को लविना को देखकर बहुत गुस्सा आता है।

क्लास ऑफ होने के बाद संजय अपनी बाइक निकाल रहा था उसकी बाइक पीछे खड़ी एक साइकिल से टकराती है और 8-10साइकिलें गिर जाती हैं। किरण चिल्लाती है-

संजय- (नरवस होकर) मैडम बाय मिसटेक।

लविना- जब देखो सॉरी बाय मिसटेक।

संजय- मैम रियली सॉरी, कल आपकी गलती थी, फिर भी मैंने सॉरी बोला।

लविना- ओ मिसटर मेरी नहीं तुम्हारी थी।

संजय- ओ मैडम साइकिल गिरी है कोई फोर्ड नहीं।

लविना- हम साइकिल चलाते हैं अपनी मर्जी से तुम्हारी तरह नहीं सुबह जिम में दिन भर बाइक पर और हँसती है और सब चली जाती है।

तभी मंयक, संजय से कहता है तुम भी हम सब को जॉइन कर लो हर सण्डे को सब पब्लिक पार्क से गो ग्रीन नाम से मैराथन में जाते हैं।

संजय- ये फालतू के चोंचले मुझे पंसद नहीं है।

मंयक- संजय कल दूबे सर भी क्लास नहीं है अपन दोनों साथ पढ़ते हैं।

संजय- सॉरी यार तुझे कुछ पूछना है तो बेशक मेरे घर आ लेकिन बचपन से मुझे अकेले में पढ़ने की आदत है।

मंयक- मैं समझता हूँ, कबआऊँ।

संजय- 3 बजे आ जाना ओ.के।

मंयक- बाय बाय।

लविना- (साइकिल चलाते हुए )मुझे लगता है ये लड़का जानबूझकर हमें तंग कर रहा हमें।

शैली- अरे नहीं ! अपनी कोचिंग में ऊपर वाले माले में इनकी भी कोचिंग चलती है और जो लड़का एरगयूमेंट कर रहा था यू नो वो टॉपर है।

लविना- टॉपर है तो. क्या हुआ, बन्दर की तरह कूद-कूद बोलेगा कि मैं टॉपर हूँ। सब हँसती हैं। फिर सब अपने घर चली जाती है।

लविना- (घर आकर) मम्मी मैं ऊपर जा रही हूँ। कोई मुझे डिस्टर्ब ना करे।

छाया- यस. माय लार्ड।

लविना- मुझे गुस्सा आ रहा है।

छाया- आजा अपन दोनों लड़ाई-लडाई खेलें।

लविना- मैं आपसे क्यूँ लडाई करूँ।

छाया- तो मेरे बनाए खाने पर क्यूँ गुस्सा निकाल रही है मैंने कितनी मेहनत करी है कब से तेरा इंतजार कर रही हूँ।

लविना- आप मुझे इमोशनल ब्लेकमेल कर रही है।

छाया- मैं ऐसा करती नहीं हूँ पर अगर तुम्हें लगता है तो हाँ।

लविना- मम्मी प्लीज अभी मेरा मूड ठीक नहीं है (गले में बाहें डालकर) बाद में खा लूँगी।

छाया- पर बात क्या है मुझे बताओ शायद मैं कोई हेल्प कर सकुँ।

लविना- नहीं ऐसी कोई बात नहीं है बस यूँ ही मैं 10 मिनट में आती हूँ।

छाया- कुछ बोलती फिर रुक गई अच्छा 10 मिनट में आ जाना।

लविना- ऊपर जाकर पलंग पर बैठ जाती है बुदबुदाते हुए वो लड़का अपने आप को समझता क्या है टॉपर है तो क्या टॉपर तो मैं भी हूँ पर मै तो ऐसा कभी नहीं करती शायद नई बाइक होगी उसकी झाड़ रहा होगा गाड़ी पर तो मै भी जा सकती हूँ।

छाया- लवि आजा।

लविना- आई मम्मी और नीचे आती है दोनों खाती है फिर मम्मी पापा कह रहे थे ना स्कूटर के लिए मैं स्कूटर ही लेती हूँ पापा को भी अच्छा लगेगा आप ही नया मोबाइल ले लो आपका बहुत पुराना हो गया है 10 बार हैलो बोलो तब ही बात हो पाती है।

छाया- पापा ने बोला था लवि से एक बार ओर पूछ लेना जो बोलेगी दिला दूँगा।

लविना- आज शाम को ही चलें।

छाया- आज पापा को आने में देर हो जाएगी सण्डे को चलते हैं।

लविना- नहीं नहीं मम्मी तब तक तो देर हो जाएगी कल चलते हैं मम्मी प्लीज़ प्लीज मम्मी।

छाया -(हैरानी से) पर तुम अचानक स्कूटर के लिए इतनी जिद क्यूँ कर रही हो।

छाया- पापा को बोलती कल चले नहीं माने तो मैं नहीं जानती।

लविना- आप बोलोगे तो मान जाएंगे।

छाया- जरूरी नहीं है।

लविना- रहने दै मम्मी पापा आपकी कोई बात टालते नहीं (मुस्कुराते हुए)।

छाया- वो तो----

लविना- रहने दो कुछ कहने की जरूरत नहीं है ( हँसती है)

छाया- चल हट तू नहीं समझेगी।

लविना- तो समझा दो।

छाया- (हँसते हुए) ये बुढ़ापे वाला प्यार है जब तू हमारी उम्र की होगी खुद ही समझ जाओगी। शाम को पापा से बात करती हूँ। अब जाके पढ़ाई कर वर्ना पापा नाराज होगें।

लवि- ओ.के. मम्मी। लवि अपने आप से बोलती है अब मजा आयगा बड़ा हीरो बनता है।

संजय- सुबह जिम जाता है थोड़ी देर करके निकलता है जीम वाले सर बोलते हैं आप कभी आते कभी नहीं कभी जल्दी चले जाते हो जस रिजल्ट नहीं आता है और जिम.का नाम खराब होता है।

संजय- सर आपसे ज्यादा मुझे.फिक्र है मैंने पैसे दिये है पर पढ़ाई भी तो जरुरी है और तेजी से निकल जाता है।

जिम वाले सर सॉरी बोलते हैं।

रास्ते में उसे लविना की जिम और साइकिल वाली याद आती है। संजय घर आया पापा कुछ कहते इससे पहले रेनू- क्यूँ आज जिम नहीं गया।

संजय- आज मन नहीं लगा आ गया।

रेनू- मैं तो पहले ही कह रही थी 2-4 दिन शौक से जाएगा फिर टाँय -टाँय फिस्स, अभी तो महीना भर ही हुआ है ये बचे 2 महीने हैं, वो पूरे करना पैसे तो वसूल हो।

संजय- हाँ मम्मी।

विकास- क्या बात है बेटा।

संजय- कुछ नहीं पापा।

विकास- बोल बेटा।

संजय- रहने दो मम्मी नहीं मानेगी।

विकास- मैं मान जाऊँगा है ना बोल।

संजय- (उदास होकर) मैं सोच रहा हूँ मैं साइकिल ले लूँ रोज जिम जाने में टाइम वेस्ट होता है साइकिल से रोज कोचिंग जाऊँगा एक्सरसाइज हो जाएगी और टाइम भी बच जाएगा।

विकास- (हँसते हुए) तू उल्टा कैसे बोल रहा है जिनके पास बाइक होती है कार खरीदने की सोचते हैं, तेरे पास बाइक है तुम साइकिल की बात कर रहे हो।

संजय- मेरे बहुत सारे फ्रेंड पहले जिम जाते थे, अब जिम की बजाय साइकिल यूज कर रहे टाइम, पैसा बचे और फिटनेस मिले।

विकास- तब तो तुम भी साइकिल ले लो।

रेनू आती है

विकास- (संजू को आंख मारकर) संजू मुझे लगता है तुम्हारा ध्यान आजकल पढ़ाई में नहीं लग रहा है जब देखो बाइक लेकर निकल जाते हो ऐसे तो तुम पढाई में पिछड़ जाओगे। कभी दोस्तों का बहाना कभी जिम का, मैं तुम्हें एक साइकिल लेके देता हूँ, कौचिंग रोज साइकिल से ही जाओगे और सिर्फ सण्डे को ही बाइक चलाओगे।

संजू पापा की तरफ देखता है।

विकास- रोज साइकिल से ही कोचिंग जाओगे हफ्ते मे एक दिन बाइक चलाओगे।

रेनू- गुस्से से संजू को देखती फिर विकास से मैं तो आपसे पहले ही कह रही थी अभी इसको बाइक मत लेके दो अभी इसकी पढ़ाई के दिन पर आप माने आप इसको साइकिल लेके दो बाइक पर हीरोगिरी करता रहेगा।

विकास- अब खाना खाकर मेरे साथ साइकिल लेने चलना।

संजय- (बात बनाकर) नहीं पापा मै तो बाइक पर ही जाऊंगा मेरे फ्रेंड हँसेंगे अभी मेरे बाइक पर ही तो घूमने के दिन है।

विकास- मुझे कुछ नहीं सुनना। दो दिन साइकिल लेकर जाएगा सारी शर्म निकल जाएगी और आज ही साइकिल लेकर आते हैं।

रेनू- तेरे पापा तेरे भले के लिए ही कह रहे हैं और अब कोई बहस नहीं और रेनू चली जाती है।

संजू- पापा को गले लगाकर पापा थैक्यू, यू. आर. ग्रेट।

विकास- माई डियर ये तो कुछ भी नहीं तेरे लिए तो जान भी हाजिर है।

संजू- (मुंह पर हाथ रखकर) ये चीजें कभी भी आपसे बढ़कर नहीं हो सकती है, आज के बाद आप कभी ऐसी बातें नहीं करोगे (गले लगाकर)

विकास- अरे, तुम तो सेंटी हो गये, मैं जानता हूँ तुम मुझे अपने आप से ज्यादा प्यार करता है। चल जल्दी बाहर चल, तेरी मम्मी ने सुन लिया तो साइकिल कैंसिल।

दोनों जाते हैं और शाम तक साइकिल ले आते हैं।

लविना- पापा-मम्मी के साथ स्कूटर लेने जाती है मम्मी को लेटेस्ट फोन दिलाती है और होटल में खाना खाकर घर आते हैं।

अगले दिन सुबह जल्दी उठकर मंयक को फोन लगाता है और कहता है कि मैंने साइकिल खरीद ली है तुम्हारे घर आता हूँ। साथ में मैराथन चलेंगे और संजय मंयक के घर जाता है। फिर दोनों मैराथन जाते हैं।

लविना अपने नये स्कूटर पर सुबह कौचिंग का बैग लेकर जाती है। देखती है वहाँ कोई भी नहीं है। चौकीदार भी नहीं तभी उसका फोन बजता है।

शशि- लविना तू अभी तक आई नहीं, हम सब ग्राउण्ड में पहुंच गये हैं, मैराथन स्टार्ट होने वाली है।

लविना- ओ माई गॉड मैं तो भूल ही गई आज सन्डे है, मैं कौचिंग के नीचे खड़ी हूँ पर मेरे पास तो स्कूटर है।

शशि- स्कूटर पर ही आजा कुछ करते हैं।

लविना ग्राउंड में आती है उसका सामना संजय से होता है। संजय उसको देख कर हैरान होता है। लविना, संजय को साइकिल पर देखकर कर हैरान होती है।

संजय- क्यूँ साइकिल का टायर फट गया या नया स्कूटर खरीदा जिसका शोऑफ करने आई हो।

लविना- ऐ मिसटर अपना मुँह बंद रखो, मैं स्कूटर लेके आऊँ या साइकिल मेरी मर्जी।

और चली जाती है।

शशि- (हैरान होकर) तू मैराथन भूल गई।

लविना- तो क्या हुआ तुम दोनों याद दिला सकती थीं।

शशि- हमें क्या पता तू मैराथन भूल जाएगी फिर स्कूटर देखकर कब लिया ?

लविना- (इतराने हुए) पापा ने गिफ्ट लेके दिया है।

किरण- पर तुझे तो मोबाइल चाहिए था।

लविना- पापा मोबाइल के लिए मना कर रहे थे।

किरण- और तू मान गई।

लविना- मोबाइल मम्मी को दिला दिया अब दोनों मेरे हाथ में।

शशि- अब तुम उसकी शक्ल देखना वो क्या समझता है कि सिर्फ वो गाड़ी चला सकता है। मैंने भी गाड़ी खरीद के दिखा दी।

शशि- कौन।

लविना-अरे वही जो स्मार्ट बना फिरता है

शशि- पर कौन।

लविना-अरे वही जो कौचिंग के ऊपर वाले फ्लोर पर पढ़ता है संजय।

शशि- तो तूने स्कूटर उसको दिखाने के लिए खरीदी है हे भगवान "गई भैंस पानी में" और बाईं द वे कब से चल रहा है ये सब तूने हमें बताया नहीं ?

लविना- व्हाट नोनसेंस मैंने उसका मुँह बंद करने के लिये खरीदा है उससें शादी करने के लिए नहीं के लिए वैसे भी अभी मेरी उम्र ही क्या है। अभी 2-4 लड़कों को और मरने मारने दो।

दोनों उसे हैरानी से देखती है।

शशि- संजय को देखकर आ गई।

लविना- क्या

शशि- रेड लाइट मतलब लाल लाल धक धक रोमांटिक...

किरण- शशि से तू इसे बढ़ावा मत दे ये तो बेफकूफ है।

शशि चुप हो जाती है तभी संजय उनके पास से गुजरता है।

लविना बोलती है- नकलची बंदर मैराथन में नकल करने आए हैं ।तभी शशि के फोन पर तान्या का फोन आता है और बताती हे कि रेखा ने नींद की गोलियां खा ली है अभी हॉस्पिटल में है। तभी संजय पूछता है- वही रेखा जिसका हमारे कुनाल के साथ अफेयर चल रहा है। शशि हाँ बोलती है, सब हॉस्पिटल पहुँचते हैं।

हॉस्पीटल में रेखा के पापा -मम्मी रो रहे थे। तभी डॉक्टर बताते हैं- अब रेखा ठीक है। आप सही समय पर उसे हॉस्पीटल ले आये। आप लोग उससे मिल सकते हैं।

सब अंदर जाते हैं, रेखा सबको देखकर रोने लगती है और कहती है डॉक्टर ने मुझे क्यूँ बचाया, मुझे नहीं जीना।

लविना- तू भी स्टुपिड है, एक लड़के के लिए अपनी जान देने चली जो तुझे प्यार ही नहीं करता। लड़के होते ही ऐसे हैं तभी संजय कुनाल को लेके आता है।

शीतल- मैंने भी इसे समझाया था उसनें फोन पर मना किया है। कल तुम स्कूल में बात कर लेना मुझे लगा वो समझ गई। इसकी मम्मी का फोन आया रेखा ने नींद की गोलियां खा ली है। सब कुनाल की तरफ गुस्से से देखते हैं।

कुनाल- मुझसे जिद करने लगी, कहने लगी मुझसे शादी का वादा करो जो मैं अभी नहीं कर सकता।

लविना- क्यूँ तुम्हारी वजह से आज उसकी जान चली जाती तो।

कुनाल- तुम सब ही बताओ अभी मेरी पढ़ाई 8 साल की, तब जाकर मैं नौकरी की उम्मीद है, क्या पता तब भी नौकरी नहीं मिली कुछ और हाथ-पैर मारने पडे़ तब तक मैं खुद पापा की कमाई पर। मेरी पढ़ाई के लिए सारे लोन ले लिए इसको भी उनके ऊपर डाल दूँ और सौ बात की एक बात मैंने हमेशा फ्रेंड की तरह बात की है इससे इससे ज्यादा कुछ नहीं और फ्रैंडशिप भी इसने आगे होकर की इसको बहुत बार मैंने समझाने की कोशिश की पर ये कुछ समझने को तैयार ही नहीं। तब कल मैंने इसे गुस्से से मना किया। क्या करता और चला गया जाते हुए सॉरी वन्स अगैन कहता है।

किरण- रेखा देख तेरी वजह से तेरे पैरेंटस् पर क्या बीती, वो तीनों कब से रो रहे हैं।

रेखा- भाई, पापा, मम्मी को सॉरी बोलती है, सबके गले लगती है, सब उसको बाय बोलकर अपने-अपने घर जाते हैं।

अगले दिन लविना कौचिंग स्कूटर पर आती है और देखती है कि उसको छोड़कर सब साइकिल पर आए हैं। किरण उसको घूरती है, लविना नजरें नीचे कर लेती है, किरण आगे चलती है। लविना पीछे शशि को पैर मारती है। मुझे याद नहीं कर सकती थी।

आगे से किरण- शशि अब तू इसकी पी. ए. रोज सुबह इसको याद दिलाया कर, आज साइकिल पर आना है, आज स्कूटर पर आना है, रात को मत याद दिलाना वर्ना सुबह तक भूल जाएगी।

लविना- टू मच....

सब लड़के हँसते हैं।

संजय- शटअप, तुम्हें पता है साइकिल मैराथन इसी ने स्टार्ट करवाई है।

शिवा- तूने कब पता किया।

रॉकी- ये 3-4 दिन से इनकी, उनके साथ छन रही है।

संजय- शटअप और सब लिफ्ट की तरफ जाते हैं। लिफ्ट में लविना और उसकी फ्रेंडस खड़ी थी।

शशि- प्लीज़ गॉड प्लीज़ बॉयज् को अंदर मत भेजना।

संजय- प्यार से लविना को एक मिनट आप बाहर आएँगी।

लविना- एकदम बाहर आती है और शशि और किरण को भी साथ खींच लेती है।

संजय- फ्रेन्डस के साथ अंदर घुस जाते हैं। संजय लविना से- सॉरी हम लेट हो रहे हैं।

किरण- ओय....... चिल्लाती है

लविना- रहने दे जल्दी में थे। दोनों उसें हैरानी से देखती है।

क्लास खत्म होती है सब नीचे आते हैं।

शशि- अभी इनकों मज़ा चखाती हूँ, निकालने जाती है लविना उसे रोकती है।

शशि- इसका क्या मतलब है।

लविना कुछ कहती तभी लड़के आते हैं, तीनों साइड हो जाती है और सब अपनी साइकिलें लेकर चले जाते हैं। सारी लड़कियां बॉय बोलकर अपनी साइकिल और लविना स्कूटर लेकर जाते हैं। गली में संजय को खड़ा देखकर रुक जाती है।

संजय हैलो बोलता है फिर सुबह के लिए सॉरी बोलता है। दोनों अपने स्कूटर और साइकिल रखकर एक पत्थर पर बैठते हैं।

संजय- तुम्हारा नाम बहुत अच्छा है।

लविना- आई नो, पापा ने रखा है।

संजय- पापा के बहुत क्लोज हो। मेंरे पापा दुनिया के सबसे बेस्ट पापा है।

लविना- पापा मेरे क्लोज है, मैं मम्मी के।

संजय- आजकल तुम साइकिल नहीं लेकर आती।

लविना- सच बताऊँ, फिर मुझे लगता है तुम बाइक लेकर आओगे और तुम रोज़ साइकिल लेकर आते हो।

संजय- (हँसते हुए) मैं सोचता हूँ तुम साइकिल लेकर आओगी, इसलिये साइकिल लेकर आता हूँ

(दोनों साथ में) अब रोज़ साइकिल लेकर आएंगे। दोनों को हँसी आ जाती है। दोनों एक-दूसरे को अपना नंबर देते हैं और रोज यहीं मिलने का टाइम रखते हैं और उससे कहती है शशि, किरण को पता नहीं चलना चाहिए। वो नाराज होती है, फिर घर आती है, रोज़ रात को फोन पर बात करते और कौचिंग के बाद सबके जाने के बाद गली में पत्थर पर बैठ कर बातें करते।

एक दिन लविना उठती है। आज बहुत देर हो गई पापा के आने का टाइम हो गया है। गॉड पापा नहीं आये हो मम्मी को तो पटा लूँगी।

घर आती है देखती है पापा की कार नहीं है चैन की सांस लेती है, अंदर आती है।

छाया- बेटा आजकल रोज़ लेट आती है, मैं कबसे तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ अभी में किरण के घर फोन लगाने वाली थी।

लविना- गुस्से से, इसमें किरण को फोन लगाने की क्या बात है। क्लास खत्म होगी तभी तो आऊँगी।

छाया- हाँ तो ठीक है इसमें चिढ़ने की क्या बात है।

लविना- चिढ़ू नहीं तो और क्या करूँ आप किरण के घर फोन.लगाते तो किरण और उसके पेरेंटस क्या सोचते

और ऊपर जाने लगती है।

छाया- ऊपर जाओ, मत अभी पापा आने वाले हैं, फिर आवाजें लगाते रहेंगे।

मम्मी में 2 मिनट मे आई, आकर जब तक अपने रूम को न देख लूँ मजा नहीं आता। चुटकी बजाकर यूँ गई और यूँ आई।

छाया- हँसते हुए जा जल्दी आना रूम में आकर संजय को फोन लगाती है, कहती है, आज बच शुक्र है आज तो बच गई, पापा अभी तक आए नहीं।

संजय- कल मूवी देखने चले।

लविना- किसी ने देख लिया तो।

संजय- इतना डरने की जरूरत नहीं है, बी केयरफुल...

लविना- (कुछ सोचकर) ओ.के कल शशि और मैं किरण के घर जाने वाले हैं, बाद में उसे मना कर दूँगी और मम्मी को किरण के घर जाने का बोलकर आ जाऊंगी।

संजय- डन।

छाया- आ गये आप।

नरेन - (जग से पानी लेते हुए) लवि दिखाई नहीं दे रही है।

छाया- उसको बोला था अभी पापा आने वाले मिल के फिर ऊपर जाना, पता नहीं पर आजकल बहुत जिद्दी हो गई है हर बात का चिढ़कर जवाब देती है।

नरेन- लवि बेटा, ऊपर अकेली बैठी हो, नीचे आ जाओ (दो-तीन बार आवाज लगाते हैं।)

लवि- आई पापा।

लविना- पापा बुला रहे हैं, फोन रखती हूँ। बाय, गुडनाइट.... और नीचे जाती है। किसी से ज्यादा बात नहीं करती है, कल मिलते है।

नरेन - बहुत दिन हए, कहीं बाहर नहीं चले हैं, ऐसा करते हैं कल पिक्चर चलते हैं, फिर बाहर ही खाना खाकर आएंगे।

लव- (लवि एकदम से) नहीं पापा कल मैं और शशि, किरण के घर जायेंगे और फाइल तैयार करनी है फिर कभी।

नरेन- ओ.के. बेटा पहले पढ़ाई, सन्डे को चलेंगे और खाना खाकर- पापा गुडनाइट, पढ़ाई करनी है।

नरेन- वो तो ठीक है बेटा आराम भी जरूरी है टाइम से सो जाना।

लवि- ओ.के पापा मम्मी और जाती है दोनों बाय बोलते हैं उसके जाने के बाद-

छाया- आपको लवि बदली -बदली सी नहीं लगती।

नरेन- तुम बेकार परेशान हो रही हो आजकल की पढ़ाइयाँ इतनी भारी भरकम हो गयी है, बच्चों के चेहरों से हँसी ही गायब हो गई है।

छाया - सो तो है।

अगले दिन लविना को कोचिंग आते किरण, शशि से कहती है कया बात है, आजकल इनकी नोक-झोंक बंद हो गई है।

शशि- अच्छा है ना चुपचाप आते हैं, चुपचाप चले जाते हैं। सब तेरी डांट का असर है। आजकल तेरे से डरने लगी है।

किरण- पर पता नहीं क्यूँ मुझे ये बात हजम नहीं हो रही। कुछ तो है इसके चेहरे को देखकर लगता है इसके दिमाग में चल कुछ रहा है दिखा कुछ और रही है।

शशि- तू अपनी सी.आई. डी.बंद कर। जब संजय से बात करती थी, तब दिक्कत, अब नहीं करती तब भी दिक्कत। वो आ रही है, सुनेगी तो उसे बुरा लगेगा। तभी लविना दोनों को हाय बोलती है। क्लास ऑफ होने के बाद किरण दोनों 3 बजे तक आ जाना दोनों हाँ बोलती है।

गली में संजय खड़ा था, उसको बाय बोलती है और कहती है 3:30 पर थिएटर के बाहर मिलेगी।

नरेन, छाया और लवि खाना खाते हैं फिर लवि जल्दी उठकर, मैं जाती हूँ, शशि मेरा वेट कर रही होगी, तैयार होकर जाती है, आज कुछ ज्यादा अच्छे से लवि तैयार, दोनों हैरान थे पर कुछ बोला नहीं।

बाहर जाकर लविना, शशि को फोन लगाती है कि यार मेरी तबियत ठीक नहीं लग रही है ऐसा करते हैं कल किरण के.घर चलते हैं थोडा़ आराम करूँगी ठीक हो जाऊँगी वैसे भी अपनें को फाइल मंडे को देनी है। अभी 4 दिन पड़े हैं।

शशि- पक्का।

लविना-. हाँ ओ.के. और हाँ किरण को बोल देना।

शशि- बाय।

नरेन- छाया चलो, बाजार चलते हैं, आज फ्री हूँ, तुम्हें पर्दे दिलवा देता हूँ दिवाली पर। दूसरे ही तने काम हो जाते हैं और टेलर भी परेशान करते हैं।

छाया- (खुश होकर) ठीक है, मैं दो मिनट में आई तैयार होकर, आती है दोनों जाते हैं, कार पार्किंग करते वक्त अचानक छाया लवि चिल्लाती है।

नरेन- क्या हुआ।

छाया- अरे अभी मैंने लवि को बाइक पर लड़के के साथ देखा।

नरेन- तुम्हारा चश्मा पर्स में पड़ा है और इतनी दूर से तुमने लवि बाइक और लड़का देखा अब तुम पूरा टाइम चश्मा पहना करो।

छाया- सच में मैंने लवि को देखा, बाइक अपनी कार के पास से निकली।

नरेन कार से उतरते हुए चलो जल्दी उतरो और दोनो पर्दे की दुकान पर चढ़ते तभी नरेन की नजर लवि पर पड़ती है। वो देखता है लवि एक लड़के के साथ मॉल में जाती है, नरेन, छाया का हाथ पकड़ कर तेजी से छाया को मॉल के अंदर ले जाता है और लव के सामने खड़े हो जाते हैं। नरेन लवि को थप्पड़ मारते है और संजय को भी।

लवि- पापा प्लीज़।

नरेन- चुप कर तुम्हारे पापा का फोन नंबर दो।

संजय- अंकल एक बार हमारी बात सुनिए हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हम शादी करना चाहते हैं।

नरेन- अब तूने अगर मेरी बेटी का नाम लिया तो यहीं सड़क पर मारूँगा और उसके पापा मम्मी को वहाँ बुलाते थोड़ी देर वो दोनों आ जाते हैं।

संजय- पापा में दोनो एक-दूसरे से प्यार करते हैं।

नरेन- हमारी बेटी अभी 17 साल की है इसे शादी का मतलब भी पता नहीं होगा।

संजय- जब लविना 18 की हो जाएगी तब हम करेंगे।

छाया - शादी कोई गुड्डे गुड़िया का खेल नहीं है।

लविना- हमें पता है और हम गुड्डे गुड़िया नहीं है। मैं 18 की और संजय 21 का हो जाएगा।

रेणू- (गुससे से) ए लड़की हमें हमारे बेटे की शादी नहीं करनी और गेट लोस्ट.....

संजय- आप ना बोलने से क्या होता है, गवर्नमेंट भी हमें रोक नहीं सकती।

विकास- हम घर चलकर बात करते हैं, इस तरह घर के बाहर नहीं चलो वहीं बात करते हैं।

रेनू - दाढ़ी अभी आई नहीं, शादी करनी है, सुन ले तू, घर चल अभी तुम्हें आगे पढ़ना हैऔर तुझे इंग्लैंड जाना है। आप अपनी बेटी को ले जाइए और लविना से आज के बाद मेरे बेटे से मिलने कोशिश मत करना वर्ना हमसे बुरा कोई नहीं होगा और संजय को ले जाते हैं।

घर आकर लवि को पापा मम्मी समझाते हैं पर वह नहीं मानती।

नरेन -बेटा हम तुम्हारे दुश्मन नहीं है अभी तुम बड़ी नहीं हो। उधर संजू को पापा-मम्मी समझाते हैं पर वो भी नहीं मानता।

अगले दिन सुबह संजू तैयार होता है और कहता है वो लविना से मिलने जा रहा है, उधर लविना तैयार होकर संजय से मिलने के लिए दरवाजा खोलती है। सामने संजय खड़ा था, पीछे-पीछे उसके पापा-मम्मी भी आते हैं, फिर दोनों को समझाते हैं पर वो नहीं मानते।

रेनू- बहुत हो गया अब चुपचाप घर चल, इस तरह किसी लड़की के लिए तुझे अपना भविष्य बर्बाद नहीं करने दूँगी।

छाया- बेटा इतनी.बेइज्जती वो भी हम सह.लेते अगर हमें लगता तेरा फैसला सही है लेकिन ऐसा नहीं है बेटा।

नरेन- आज बहुत बहस हो गई मेरा तो दिमाग ही नहीं काम कर रहा। विकास को हाथ जोड़कर प्लीज अभी आप इसे ले जाइए और वो तीनों चले जाते हैं।

अगले दिन विकास छाया और नरेन को गार्डन में बुलाते हैं, संजय और लविना को इसका पता नहीं

विकास- भाईसाहब बच्चे जिद् पर अड़े हुए हैं, उनको हम जितना मना करेंगे उनका इरादा उतना ही पक्का होगा।

रेनू- मैं ये शादी हर्गिज़ नहीं होने दूँगी।

नरेन- ये अपना भला-बुरा समझने की स्थिति में नहीं है, फिर वो तय करते हैं।

छाया- अगर बाद में उन्होने जिद करी तो।

विकास - तब की तब देखेंगे वैसे आप निश्चिंत रहिए। ये दोनों जल्दी एक-दूसरे को भूल जाएंगे। आजकल के बच्चे मोबाइल की तरह प्यार बदलते हैं। और. फिर घर जाते हैं।

लविना, नरेन और संजय के घर जाते हैं और विकास को बोलते हैं- मेरे हिसाब से बच्चों की खुशी में ही हमारी खुशी है।

लविना- आई लव यू पापा।

विकास- लेकिन अभी आपकी बेटी 18 की भी नहीं है फिर संजय से जब ये 18 की तब......

संजय- तब हम शादी करेंगे।

विकास- ओ.के. तुम्हारे पास कोई नौकरी तो है नहीं।

संजय- अभी मुझे पढना है लविना को भी पढ़ना है फिर नौकरी।

विकास- आगे की पढा़ई कहाँ करनी है।

संजय - वहीं इग्लैंड।

विकास - और ये (लविना की ओर इशारा करके)

संजय - यही पढ़ेगी, परीक्षा के बाद, जहाँ इसको कॉलेज मिलेगा वहाँ पढे़गी।

विकास- ओ.के. मतलब तुम इग्लैंड और ये उस कॉलेज मे जँहा इसे एडमिशन मिलेगा, मतलब दोनों अलग 2- रहोगे।

संजय- हाँ पापा जब तक हम दोनों की पढ़ाई चलेगी।

विकास- जब तुम। रहोगे अलग-अलग तो अभी शादी करनी एक बार दोनों 'सेटिल "हो जाओ तब शादी करना जबरदस्ती नहीं है।

दोनों एक-दूसरे को देखते हैं।

नरेन- इन 5-6 सालों में तुमको एक-दूसरे को समझने का मौका मिल जाएगा और फिर हो सकता है तुम दोनों को कोई और पंसद आ जाए।

संजय, लविना एक दूसरे से बात करते हैं फिर

संजय- हमें यकीन है इतने साल बाद भी हमारी पंसद नहीं बदलेगी पर हमें अलग-अलग रहकर ही पढ़ाई करनी है इसलिए हम अभी शादी नहीं करेंगे लेकिन हम जब चाहे एक दूसरे से मिल सकते हैं, फोन पर बात कर सकते हैं जब हम दोनों पढा़ई के बाद अगर हम दोनों शादी करना चाहे आप चारों हमें मना नहीं करेंगे।

फिर लविना से अगर हम तब भी एक-दूसरे से प्यार करते होंगे तो हम मैराथन में मिलेंगे।

रेनू- 4-5 कौनसी मैराथन होगी, अरे ऐसी बातें शुरू तो बड़े जोर-शोर से होती है फिर टॉय टॉय फिस्स, जिम जाना बहुत जोश से पूरे साल की फीस जमा कराई, 7 महीने गया ,5 महिने की फीस गाय खा गई।

संजय- जैसे आज मोबाइल स्मार्ट है आने वाले दिनों में लोग स्मार्ट होंगे। आज मैराथन में 200 लोग होते है। आने वाले दिनों में शहर के कई हिस्सों में मैराथन होगी पर मैं आपसे क्यूँ कह रहा हूँ आपने कभी मेरी कोई बात समझी है क्या, रेनू कुछ कहती, विकास ने चुप रहने का इशारा किया।

लविना- ओ.के।

(संजय और लविना से नजरें बचाकर) फिर चारो चैन की सांस लेते हैं एक दूसरे को देखकर, मुस्कुराते हैं लविना ,छाया, नरेन अपने घर आते हैं।

कुछ समय बाद लविना बोर्ड के एक्जाम देती है बीच वो दोनों फोन पर बात करते रहते हैं और कभी किसी रेस्टोरेंट में मिलतें थे। अभी संजय के 2 सेमस्टर बाकी है। लविना का रिजल्ट आता है उसे मद्रास युनिवर्सिटी में एडमिशन हो जाता है। वो संजय से मिलकर मद्रास जाती है। संजय अपने दोनों सेमेस्टर पूरे इग्लैंड चला जाता है।

5 साल बाद संजय अपनी इंडिया में नौकरी पा लेता है। लविना भी पढ़ाई पूरी करके शहर में ही नौकरी करने लगती है नरेन बहुत खुश होता है और लविना को कार गिफ्ट देते हैं। एक दिन रेनू संजय को खूब सारे बायोडटा दिखाती है संजू मना करता है। रेनू चिढ़ जाती है।

एक दिन संजू शेव कर रहा था साथ में गुनगुना रहा था।

विकास- क्या.बात है आज मेरा बेटा बहुत खुश लग रहा है।

पापा- आज सन्डे है मैराथन में जा रहा हूँ।

रेनू- ( सब सुन लेती है फिर कहती है उस लड़की का भूत अभी उतरा नहीं है।

संजय- पापा मम्मी को याद दिलाइए उनका प्रोमिज।

अब हमें कोई नहीं रोक सकता

विकास- डोंट वरी, तुम जाओ सिर्फ मिलके आना, शादी हम धूमधाम से करेंगे, शाम को लविना के घर चलकर उनसे बात करेंगे।

संजय- मैराथन जाता है, देखता है काफी भीड़ है, मैराथन शुरू होने वाली है। अचानक उसकी साइकिल के पास एक साइकिल रूकती है, वो देखता है पास वाली साइकिल पर लविना मुस्कराती है, संजय खुश हो जाता है। मैराथन खत्म होने पर स्टेज पर सबके सामने आई लव यू बोलता है और बताता है शाम को तुम्हारे घर आएंगे।

शाम को विकास और रेनू और संजय लविना के घर आते हैं। शादी की तारीख पक्की करते हैं सब। एक-दूसरे को मिठाई खिलाते हैं। संजय और लविना मुस्कुराते हैं।


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