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Preeti Sharma "ASEEM"

Fantasy

4  

Preeti Sharma "ASEEM"

Fantasy

मेरा डोरेमोन

मेरा डोरेमोन

5 mins
489


टिंकू टीवी के आगे बैठा हुआ था अपना पसंदीदा कार्टून डोरेमोन देख रहाटिंकू टीवी के आगे बैठा हुआ था अपना पसंदीदा कार्टून डोरेमोन देख रहा था। थोड़ा पढ़ भी लिया कर.. आशिमा ने डरते हुए टिंकू को बोला। इन कार्टूंस को देखकर तू भी इनके जैसा हो गया है। सारा दिन... अच्छा कोरोना आया, स्कूल क्या बंद हुए। टीवी पर सारा दिन कार्टून..... लो खाना खा लो।

आशिमा वापिस किचन में चली गई। थोड़ी देर बाद वापस आई तो उसने देखा खाना ऐसे ही पड़ा है। टिंकू टीवी ही देख रहा है। नोबिता ही बन जाना... न यह कुछ पढता है सपने देखता रहता है। तू भी टीवी के आगे बैठकर सपने देख। 

खाना भी.... देख ले। तेरे आगे रखा है। आशिमा टिंकू को डांटते हुए उसके पास ही बैठ गई उसे खाना खिलाने के लिए। तभी उसका ध्यान डोरेमोन और नोबिता पर गया। 

नोबिता रो रहा था कि उसके एग्जाम में नंबर कम आए हैं। अगर मम्मी को पता चला तो उसे डांट पड़ेगी डोरेमोन ऐसा गैजेट निकालता है कि मम्मी से उसे डांट ना पड़े। नोबिता कभी डोरेमोन को कहता है कि उसने यहां घूमने जाना है तो नोबिता एक गैजेट निकालता है डोर जैसा.... और उसे उस जगह पर पहुंचा देता है। हर चीज जो असंभव है वह डोरेमोन नोबिता के लिए संभव कर देता है। 

सच में काफी मजेदार था डोरेमोन हर असंभव चीज को संभव करने वाला। हर मुश्किल को सरल करने वाला। आज चिंता को दूर करने वाला आशिमा को खयाल आया.... काश उसके पास भी एक डोरेमोन होता। जिस दिन सर्दियों की सुबह में उसका उठने को दिल ना करें तो उसके सारे काम कर जाता बच्चों के टिफिन बना देता सब का नाश्ता बना देता डस्टिंग सफाई करने के बाद कपड़े धोकर प्रेस करके सब की अलमारियों में सजा देता दोपहर का खाना रात का खाना सारे काम चुटकियों में हो जाते। यहां तो सुबह का खाना बनाते बनाते दोपहर के खाने का समय हो जाता है काम करते करते हैं रात के खाने का लेकिन काम खत्म नहीं होते बेटे जो बार-बार लग जाते हैं सब धो जाता। सारे दिन की थकान के बाद जब बिस्तर पर लेटी तो कभी पीठ दबाता तो कभी पाव दबाता कभी बालों में तेल की मालिश करता सच में ऐसा डोरेमोन..... हमारा तो किसी ख्याल नहीं आता कि इनके पांव भी दर्द करते होंगे। नई- नई रेसिपी बना जाता। सारे काम करने के बाद भी घर में जो सबके मुंह बने रहते हैं चुटकी में कुछ ऐसा गैजेट निकालता....... सब हंसते रहते बातें करते। कितनी आसान हो जाती जिंदगी मायके जाने को दिल करता तो कोई अड़चन खड़ी ना करते... कोई यह नहीं कहता कि पैसे भी तो चाहिए जाने के लिए... बस डोरेमोन का वो पिंक वाला डोर निकालता और झट से वहां पहुंचा देता बिना किसी खर्चे के। उन रिश्तो को जिन्होंने समझा ही नहीं फर्ज निभाने के बाद भी अनजाने इसने क्या किया है कानों में एक दूसरे के कानों में जहर घोलने वाले उन रिश्तो को डोरेमोन कैसेट निकालकर सबक सिखा देता। सचमुच डोरेमोन हर गृहिणी के पास होता। 

था। थोड़ा पढ़ भी लिया कर.. आशिमा ने डांटते हुए टिंकू को बोला। इन कार्टूंस को देखकर तू भी इनके जैसा हो गया है। सारा दिन... अच्छा... कोरोना आया, स्कूल.... क्या बंद हुए। टीवी पर सारा दिन कार्टून..... लो खाना खा लो।

आशिमा वापिस किचन में चली गई। थोड़ी देर बाद वापस आई तो उसने देखा खाना ऐसे ही पड़ा है। टिंकू टीवी ही देख रहा है। नोबिता ही बन जाना... न यह कुछ पढता है सपने देखता रहता है। तू भी टीवी के आगे बैठकर सपने देख। 

खाना भी.... देख ले। तेरे आगे रखा है। आशिमा टिंकू को डांटते हुए उसके पास ही बैठ गई उसे खाना खिलाने के लिए। तभी उसका ध्यान डोरेमोन और नोबिता पर गया। 

नोबिता रो रहा था कि उसके एग्जाम में नंबर कम आए हैं। अगर मम्मी को पता चला तो उसे डांट पड़ेगी डोरेमोन ऐसा गैजेट निकालता है कि मम्मी से उसे डांट ना पड़े। नोबिता कभी डोरेमोन को कहता है कि उसने यहां घूमने जाना है तो नोबिता एक गैजेट निकालता है डोर जैसा.... और उसे उस जगह पर पहुंचा देता है। हर चीज जो असंभव है वह डोरेमोन नोबिता के लिए संभव कर देता है। 

 सच में काफी मजेदार था डोरेमोन हर असंभव चीज को संभव करने वाला। हर मुश्किल को सरल करने वाला। हर चिंता को दूर करने वाला आशिमा को खयाल आया.... काश उसके पास भी एक डोरेमोन होता। 

 जिस दिन सर्दियों की सुबह में उसका उठने को दिल ना करें तो उसके सारे काम कर जाता। बच्चों के टिफिन बना देता सब का नाश्ता बना देता। डस्टिंग सफाई करने के बाद कपड़े धोकर प्रेस करके सब की अलमारियों में सजा देता दोपहर का खाना रात का खाना सारे काम चुटकियों में हो जाते। यहां तो सुबह का खाना बनाते -बनाते दोपहर के खाने का समय हो जाता है काम करते करते रात के खाने का लेकिन काम खत्म नहीं होते बर्तन जो बार-बार ढेर लग जाते हैं सब धो जाता। सारे दिन की थकान के बाद जब बिस्तर पर लेटती तो कभी पीठ दबाता तो कभी पाव दबाता, कभी बालों में तेल की मालिश करता सच में ऐसा डोरेमोन..... हमारा तो किसी ख्याल नहीं आता कि इनके पांव भी दर्द करते होंगे। कभी पानी का गिलास पिलाता तो कभी चाय का प्याला ले आता। नई- नई रेसिपी बना जाता। सारे काम करने के बाद भी घर में जो सबके मुंह बने रहते हैं चुटकी में कुछ ऐसा गैजेट निकालता....... सब हंसते रहते बातें करते। कितनी आसान हो जाती जिंदगी मायके जाने को दिल करता तो कोई अड़चन खड़ी ना करते... कोई यह नहीं कहता कि पैसे भी तो चाहिए जाने के लिए... बस डोरेमोन का वो पिंक वाला डोर झट से वहां पहुंचा देता बिना किसी खर्चे के। उन रिश्तो को जिन्होंने समझा ही नहीं फर्ज निभाने के बाद भी.... इसने क्या किया है कानों में एक दूसरे के कानों में जहर घोलने वाले उन रिश्तो को डोरेमोन गैजेट निकालकर सबक सिखा देता। सचमुच डोरेमोन हर गृहिणी के पास होता। जिंदगी को कितना सरल कर जाता तभी टिंकू की आवाज आई मम्मा खाना खा लिया है..... आशिमा जैसे सपने से जाग गई हो। प्लेट उठाकर किचन में चली गई सचमुच जिंदगी में डोरेमोन जैसा कोई होना चाहिए जो हर दिन के बढ़ते हुए कामों को कुछ कम कर जाए लेकिन हकीकत में जिंदगी में जादू नहीं होते। 


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