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V. Aaradhyaa

Drama Classics Inspirational

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V. Aaradhyaa

Drama Classics Inspirational

क्या वो सच में इतनी बेवकूफ़ है ?

क्या वो सच में इतनी बेवकूफ़ है ?

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रीमा! तुझे पता है ना कि.... समर वेकेशन की सैलरी एडहॉक टीचर्स को नहीं मिलती है। अभी तेरा प्रोबशन पीरियड खत्म नहीं हुआ है। इसलिए तुझे पूरे डेढ़ महीने की सैलरी नहीं मिलेगी। तो तुझे थोड़ी मुश्किल होगी। आई मीन.. तुझे अंकल से लेना पड़ेगा। ये फिर देख ले... तेरी कोई सेविंग्स हो तो इस महीने इसीसे काम चलाना पड़ेगा समझी..!"

अनन्या ने रीमा की शॉपिंग बैग देखकर कहा।

रीमा ने अपने एक हाथ में किसी महंगे ब्रांड के कुछ शॉपिंग बैग्स पकड़ रखे थे और ब्यूटीपार्लर जाकर अच्छे खासे पैसे फूँककर अपना सो कॉल्ड मेकओवर भी करा आई थी।

अनन्या की बात सुनकर रीमा बोली,

"ये तू क्या कह रही है अनन्या? अगर मुझे सैलरी नहीं मिली तो मुश्किल होगी। क्योंकि अभी तो मैंने सैलरी के भरोसे बहुत सारे पैसे खर्च कर दिए। और कुछ पैसे तो मैंने पापा से भी लिए हैं!"

" ओहो रीमा! तुझे मैंने बताया तो था कि.. नए और एडहॉक टीचर्स को गर्मी छुट्टी की सैलरी नहीं मिलती। उन्हें तो वर्किंग डे के हिसाब से ही सैलरी मिलती है और जब स्कूल बंद होते हैं तो जो पुराने फीचर्स हैं और परमानेंट हैँ, उन्हीं को वेकेशंस की तनख्वाह मिलती है। फिर तूने इतने सारे पैसे पार्लर में और कपड़ों पर खर्च कर दिया? "

कहां तू कहां तू रीमा उछल उछल कर खुश होकर अनन्या को अपना नया लुक और शॉपिंग दिखाने आई थी।

. और कहां अनन्या की बात सुनकर उसका चेहरा ही बुझ गया।

अनन्या ने रीमा को गौर से देखा तो...

अपने बाल कलर कराकर, कैरेटीन

कराकर और फेशियल कराकर रीमा थोड़ी अलग तो लग रही थी और खूबसूरत भी लग रही थी।

आज रीमा इतनी उत्साहित थी कि...

उसके पास अनन्या की बात का भी जवाब तैयार ही था...

रीमा ने थोड़े बिंदास अंदाज में कहा...

"अरे...यार! मैंने हमेशा देखा है कि.. छुट्टियों के बाद सारी टीचर्स अपना मेकओवर करवाती हैं। और अपने लुक में कुछ ना कुछ चेंज लाती हैं। तो मैंने सोचा कि मैं भी थोड़ा सा चेंज कर लूं। वैसे भी अब फाइनल इंटरव्यू होगा तो हो सकता है... इस साल मेरा सिलेक्शन परमानेंट टीचर के पोस्ट पर हो जाए। वरना एक साल से तो एडहॉक में काम करते करते तो मैं एकदम पक गई हूं!"

रीमा की बात सुनकर एकबारगी तो अनन्या चौक गई कि.....कोई इतना बेवकूफ कैसे हो सकता है....?

रीमा की बातों में कितना बचपना झलक रहा था। उसके घर में भी कितने खर्चे थे। उसके माता-पिता की तबीयत ठीक नहीं रहती थी। उसके पिता रिटायर्ड हो चुके थे और कुल मिलाकर रीमा की कमाई और पिता के पेंशन से ही घर चल रहा था।

उसके पिता पाई पाई जोड़ करके रीमा की शादी के लिए बचत कर रहे थे।और रीमा ने आज इतने पैसे ब्यूटीपार्लर में खर्च कर दिए तो, अनन्या का बोलना लाजिमी था।वैसे.... अनन्या पहले से ही जानती थी कि रीमा चीजों को इतनी गहराई से नहीं सोचती है। लेकिन आज तो हद ही हो गई थी इतने पैसे भला कोई पार्लर में खर्च करता है? जबकि उसके बाकी खर्चे उसके सिर पर हों।अनन्या को पता था कि वह थोड़ा कड़वा बोलेगी तो रीमा को तकलीफ होगी.। लेकिन वह सच्ची दोस्त थी इसलिए उसने सोचा कि.... गरिमा को सावधान कर दे कि इतना खर्च ना किया करे।और साथ ही यह भी बता दें कि रीमा अपने खर्चे को प्रायोरिटी देकर ही लिस्ट बनाए कि कौन सा चीज पर खर्च करना ज्यादा जरूरी है।

इसलिए अनन्या आज रीमा को सारी बातें और सारी स्थिति साफ साफ बताने के लिए सोच रही थी।

वह जानती थी.... कि अगर वह रीमा को ज्यादा खर्च से रोकेगी तो उसे बुरा लगेगा...

लेकिन सच तो सच होता है।.

और एक बड़ा सच यह भी था कि...लुक्स का और प्रसनेल्टी का फर्क तो थोड़ा कम पड़ता है। लेकिन अगर किसी भी उम्मीदवार में नॉलेज ना हो उसका स्किल ना हो और वह प्रेजेंटेबल ना हो तो उसकी नौकरी परमानेंट होने के चांसेस कम हो जाते हैं। दोनों में बराबर बैलेंस होना चाहिए।

पर....यहां तो रीमा ने सिर्फ अपना लुक चेंज करने के बारे में सोचा था आपने नॉलेज बढ़ाने के बारे में सोचा ही नहीं।

अनन्या रीमा कॉलेज के समय से एक दूसरे को जानती थी। अनन्या इस स्कूल में पिछले तीन साल से जॉब कर रही थी। और वह यहां के नियम कानून भी अच्छी तरह जानती थी। अपनी लगन और मेहनत से वह यहां की परमानेंट टीचर बन गई थी। और उसी ने रीमा को भी बताया था, जब उसे स्कूल में साइंस टीचर की एडहॉक टीचर की वैकेंसी निकली थी।रीमा को इस स्कूल में नौकरी तो मिल गई थी। और वह चाहती थी कि जल्दी ही उसकी नौकरी परमानेंट हो जाए।

रीमा हमेशा उन टीचरों को देखती जो काफी अच्छे धनी घरों से आती थी।और खुद भी अच्छा कमाती थी। और बहुत टिपटॉप भी रहती थी।

तो.... रीमा का भी बड़ा मन करता था कि.... वह भी खूब अच्छे से बन ठनकर रहे और अच्छे कपड़े पहन कर आए।

.पर उन्हें देखते समय रीमा यह नहीं सोचती थी कि....

उनमें से ज्यादातर बहुत पुरानी टीचर हैं।उनकी सैलरी भी अच्छी है, और उनके इतने सारे खर्चे भी नहीं हैं।

खैऱ...सब बात रीमा को तो समझ में क्या ही आता...?

इसलिए अनन्या ने सोचा कि वह उसे आज जरूर समझाएगी कि उसे अपने खर्चे का एक लिस्ट बनाकर के प्रायोरिटी के हिसाब से ही खर्च करना चाहिए।सो अनन्या ने रीमा से कहा," तूने इतना पैसा पार्लर में खर्च किया... ठीक है। लेकिन तुझे अभी यह देखना चाहिए कि बाकी और भी खर्चे हैं जो इससे भी ज्यादा जरूरी हैं। ज़रा देख कि... तेरे पास अभी कितने खर्चे हैं। मम्मी-पापा दोनों की तबीयत ठीक नहीं चल रही है। तेरे पापा रिटायर्ड हो चुके हैं।

और....सबसे बड़ी बात है कि....अभी तुझे अपना करियर बनाना है। उसके लिए ज्यादा ध्यान देना चाहिए ना...?"तो मैं क्या करूं अनन्या..!मैं बिल्कुल डंबो बनकर तो नहीं रह सकती!"

रीमा ने भी अपनी बात रखनी चाही।तब अनन्या ने समझाया कि...." मैं मानती हूं....तेरी बात की बाहरी रूप से भी टिपटॉप होना जरूरी है…

और यह भी अच्छा लगता है कि....

थोड़ा सा लुक को भी अच्छा किया जाए। लेकिन अभी तुझे नौकरी अच्छी वाली चाहिए तो तुझे अपनी नॉलेज भी बढ़ानी पड़ेगी । थोड़ा स्किल पर भी ध्यान देना पड़ेगा और अपने आपको प्रेजेंटेबल बनाना पड़ेगा तभी सब मिलाजुला कर तेरी पर्सनालिटी कंप्लीट होगी!"

बात तो बड़े ही पते की थी.... जो धीरे-धीरे रीमा की भी समझ में आ रही थी।पर उसे यह भी लग रहा था कि अनन्या शायद उसे गलत समझ रही है। वह तो सिर्फ अपना शौक पूरा कर रही थी। और यह भी चाह रही थी कि अगर वह ज़्यादा टिपटॉप दिखेगी तो शायद उसका इंटरव्यू में सिलेक्शन आसानी से हो जाए। वैसे भी तीन दिन बाद ही तो स्कूल खुलनेवाले थे।...

रीमा और अनन्या दोनों ही जानते थे कि समर वेकेशन के बाद फिर एक इंटरव्यू होता है....जिसमें नए टीचर्स तो आते ही हैं। और जो टीचर एडहॉक में है, उनका भी इंटरव्यू होता है। और फिर.....

जिनका परफॉरमेंस अच्छा होता है, उन्हें परमानेंट कर दिया जाता है।

.यहां रीमा को थोड़ी गलतफहमी थी कि... जो टीचर बाहर से लुक में ज्यादा स्मार्ट होते हैं, उनके सिलेक्शन के चांसेस बढ़ जाते हैं। उसकी इसी गलतफहमी को दूर करने के लिए अनन्या ने कहा था कि..

" रीमा ये अच्छा किया तूने कि....अपने लुक को चेंज करने के बारे में सोचा। लेकिन तुझे अपने नॉलेज बढ़ाने के बारे में भी इक्वली सोचना चाहिए …!,बाहरी रूप का क्या है...? आज तु अच्छी लगेगी। कुछ दिनों में फिर से पहले की तरह दिखने लग जाएगी। और अगर तूने कोई ऑनलइन कोर्स कर लिया होता या अपनी एफिशिएंसी को थोड़ा और भी ज्यादा अच्छा कर लिया होता तो... तेरे परमानेंट होने के चांसेस तो बढ़ते ही। हो सकता है कि तेरा प्रमोशन भी हो जाता!"

अनन्या की सारी बातें सही थी, लेकिन शायद उसके कहने का तरीका रीमा को थोड़ा चुभ गया था।वैसे तो रीमा को अपने घर की आर्थिक स्थिति तो पता थी लेकिन उसके शौक भी बहुत थे। वह हमेशा से चाहती थी कि... वह बन ठनकर रहे और बाहरी रूप के लकदक को वह ज्यादा इंपोर्टेंस देती थी।

यहां तक कि उसकी सैलरी का अधिकांश हिस्सा शॉपिंग पर ही खर्च होता था।

आज अनन्या ने सारी हकीकत सामने रखकर थोड़ा रीमा को नाराज तो कर दिया था। क्योंकि एक साथ इतनी सच्चाई सुनकर उस समय रीमा का मन थोड़ा दुखी हो गया था। और वह सोचने लगी थी कि.... उसकी और अनन्या की स्थिति अलग है, इसलिए अनन्या ने उसे आज इतना कुछ सुनाया है।

उस वक्त रीमा को यह बात इतनी बुरी लगी कि... उसने सिर्फ यह सोचा कि.....

और उसे ऐसा ही लगा भी... कि...अनन्या के पास काफी पैसे हैं। एक तो वह परमानेंट टीचर है, तो उसकी सैलरी भी अच्छी है। और उसके माता-पिता का भी फिनेंशियल स्टेटस रीमा से अच्छा है। तो उसे लगा......कहीं यह बात तो नहीं है कि....

अनन्या मेरी गरीबी पर चोट कर रही है। इसलिए वह उस दिन बिना कुछ बोले अपने घर चली गई ।जब रीमा चली गई तो अनन्या की मम्मी ने कहा कि," बेटा! रीमा क्यों चली गई? अभी तो मैं तुम दोनों के लिए पास्ता बना कर ला रही थी!"अनन्या के ने कहा कि मम्मी मुझे लगता है कि मैंने रीमा को कुछ ज्यादा ही रूड होकर कह दिया। अब देखना.... वह मुझसे दोस्ती तोड़ लेगी। उसे मेरी बात जरूर बुरी बुरी लगी होगी। मैंने भी तो बहुत गलत तरीके से उसे डांटा है आज मुझे ऐसा नहीं बोलना चाहिए था।वह तो मुझे अपना मेकओवर दिखाने आई थी और....मुझे पता नहीं क्या हो गया था मम्मी कि मैंने उसे बहुत ही कुछ सुना डाला अब मुझे लगता है कि हमारी दोस्ती आज से ही खत्म हो गई!"यह कहकर अनन्या बहुत उदास हो गई।तब अनन्या की मम्मी आशा जी ने उसे गले लगाते हुए समझाया," नहीं....! बेटा अगर रीमा तेरी सच्ची दोस्त है तो उसे तेरी बात बुरी नहीं लगेगी…!"..."हां! तुमने अपने शब्दों को थोड़ा कठोर जरूर बना लिया था।लेकिन तुमने उसे बिल्कुल सही बात समझाई है। सच्ची दोस्त वही होती है जो अपने दोस्त को बिल्कुल हकीकत से परिचय कराए। सिर्फ उसे खुश करने के लिए उसकी गलत चीजों में सपोर्ट ना करे।

.तुम देखना....आज नहीं तो कल रीमा को भी एहसास जरूर हो जाएगा कि तुम... सही कह रही थी और तुम दोनों की दोस्ती अगर सच्ची है तो...तुम्हारी दोस्ती पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा!""सच...मम्मी!अगर ऐसा हो जाए तो मैं बहुत खुश हो जाऊंगी.…क्योंकि रीमा एक अच्छी लड़की है।और दिल से बहुत साफ है मैं उससे नहीं खोना चाहती!"

.उसके बाद अनन्या पास्ता खाने लगी। लेकिन उसे आज पास्ता में कोई स्वाद नहीं आ रहा था, क्योंकि यह पास्ता रीमा का भी फेवरेट था। वह बड़े शौक से खाती थी। अनन्या को बार-बार अपने दोस्त की याद आ रही थी।

एक बार अनन्या के मन में आया भी कि...वह रीमा को फोन करे...पर वह जानती थी कि अभी रीमा गुस्से में है तो शायद वह फोन ना रिसीव करे। इसलिए उसने उसे फोन नहीं किया।

रीमा का भी अपने घर आकर मन नहीं लग रहा था। उसे बार-बार अनन्या की बात याद आ रही थी कि....उसे अपने खर्चे को बैलेंस करना चाहिए। और अपनी प्रायोरिटी के हिसाब से ही खर्च करना चाहिए। और उसे अनन्या की बात सही भी लग रही थी।

.थी धीरे-धीरे रीमा का गुस्सा शांत हो रहा था।अगले दिन शाम में अनन्या चुपचाप अपनी बालकनी में खड़ी थी कि मम्मी ने आकर बतायाकि रीमा का फोन है....

.रीमा ने अनन्या को अपने घर बुलाया था। और अनन्या तुरंत तैयार होकर चल दी।और....थोड़ी देर बाद ही....

रीमा और अनन्या एक दूसरे से हंस हंसकर बात कर रही थी। और यह बिलकुल भूल गई थी कि..... एक दिन पहले ही दोनों की बहस हुई थी। और फिर रीमा ने अनन्या से कहा...."अनन्या! कल घर आकर मैंने तुम्हारी बात पर गौर किया और मुझे लगा कि...तुमने बिल्कुल सही कहा है कि...मुझे अपने स्पेंसेस को प्रायोटाइज करना चाहिए। मैं तुम्हारी बात मानूंगी और अगली बार से मैं अपने नॉलेज को भी बढ़ाऊंगी।और तुम भी मेरी थोड़ी मदद करना ताकि मैं जल्दी से जल्दी सफलता पाऊँ। तुम्हारे जैसे दोस्त अगर हो तो फिर किसी भी दोस्त को कोई परेशानी नहीं होगी। तुमने सच बोल कर मुझे कई सारी गलतफहमी से बाहर निकाला है।थैंक्यू अनन्या!"

रीमा की बात सुनकर अनन्या का दिल भर आया कि....,कितनी प्यारी दोस्त है। कल मैंने इसे इतना सुनाया लेकिन इसने वह बात समझ ली जो मैं समझाना चाहती थी।इसलिए अनन्या ने भी आगे बढ़कर रीमा का हाथ पकड़कर कहा," थैंक्यू तो मुझे तुम्हें कहना चाहिए रीमा! क्योंकि तुमने मेरी कड़वी बातों में भी काम की बात समझ ली और अपनी गलती मान ली और सुधारने की कोशिश कर रही हो। इतना जान लो....इस दुनिया में गलतियां सब करते हैं। लेकिन जो अपनी गलती स्वीकार करके गलतियों को सुधारने की कोशिश करता है ना....उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता …!मैं तुम्हारे साथ हमेशा रहूंगी,पर याद रखना जब तुम्हारी नौकरी परमानेंट होगा तो पहली पार्टी तुझे देनी पड़ेगी!""पक्का....पार्टी दूंगी!"

कहकर रीमा अनन्या से लिपट गई …!अब रीमा को अनन्या की कही हुई बात हमेशा याद रहती... कि...शक्ल और अक्ल दोनों का अगर बराबर कॉन्बिनेशन हो तो.... इंसान को सफलता मिलने से कोई नहीं रोक सकता।

और यह भी कि...हर इंसान को अपनी चादर देखकर पैर फैलाना चाहिए।और खर्चे का हिसाब अपनी प्रायोरिटी के साथ सोचना चाहिए।.

अब रीमा के सामने सिर्फ उसका लक्ष्य था।

और उसके बाद रीमा ने बहुत मेहनत की…और एक महीने बाद......

ज़ब इंटरव्यू हुआ तो रीमा का सिलेक्शन हो गया था। वह दिन रीमा से भी ज्यादा अनन्या के लिए खुशी का था। क्योंकि वह एक सच्ची दोस्त थी और अपने दोस्त की खुशी में ही उसकी खुशी थी।

सच्ची दोस्ती तो ऐसी ही होती है जो अंधेरे में भी साथ नहीं छोड़ती।


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