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ashok kumar bhatnagar

Inspirational

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संथाली भाषा के विद्वान शिक्षाविद पद्मश्री आदिवासी लेखक

संथाली भाषा के विद्वान शिक्षाविद पद्मश्री आदिवासी लेखक

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 ट्राइबल और उनकी भाषा के उत्थान के क्षेत्र में प्रोफ़ेसर दिगंबर हांसदा का महत्वपूर्ण योगदान है। स्कूल-कॉलेज की पुस्तकों में संथाली भाषा को जुड़वाने का श्रेय प्रोफ़ेसर दिगंबर हांसदा को ही है। वे लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल कॉलेज के प्राचार्य रहे एवं कोल्हान विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्य भी रहे। वर्ष 2018 में उन्हें साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था। 

         वे केंद्र सरकार के ट्राइबल अनुसंधान संस्थान एवं साहित्य अकादमी के भी सदस्य रहे।  पद्मश्री प्रो. दिगंबर हांसदा का जन्म- 16 अक्टूबर, 1939 तथा पद्मश्री प्रो. दिगंबर हांसदा (81) का लंबी बीमारी के बाद करनडीह स्थित आवास पर19 नवंबर, 2020 को  निधन हो गया।   

      प्रोफ़ेसर दिगंबर हांसदा अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व से व्यापक पहचान बनाए थे। सामासिक सरोकार से भी उनका जुड़ाव था।प्रो. हांसदा का जनजातीय और उनकी भाषा के उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान है। इन्होंने कई पाठ्य पुस्तकों का देवनागरी से संथाली में अनुवाद किया था। उन्होंने इंटरमीडिएट, स्नातक और स्नातकोत्तर के लिए संथाली भाषा का कोर्स बनाया। भारतीय संविधान का संथाली भाषा की ओलचिकि लिपि में अनुवाद किया था।

     उनके असामयिक निधन से जहां भाषा, साहित्य व संस्कृति की क्षति हुई वहीं झारखंड का भी नुकसान हुआ है। 

        16 अक्टूबर 1939 को पूर्वी सिंहभूम जिला स्थित घाटशिला के डोभापानी (बेको) में जन्मे स्व. हांसदा करनडीह के सारजोमटोला में रहते थे। उनकी प्राथमिक शिक्षा राजदोहा मिडिल स्कूल से हुई थी, जबकि उन्होंने मैट्रिक बोर्ड की परीक्षा मानपुर हाईस्कूल से दी थी। उन्होंने 1963 में रांची यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में स्नातक और 1965 में एमए किया। वे लंबे समय तक करनडीह स्थित एलबीएसएम कालेज में शिक्षक रहते हुए टिस्को आदिवासी वेलफेयर सोसाइटी और भारत सेवाश्रम संघ, सो

     प्रो. हांसदा कोल्हान विश्वविद्यालय के सिंडिकेट सदस्य भी रहे। वर्ष 2017 में दिगंबर हांसदा आईआईएम बोधगया की प्रबंध समिति के सदस्य बनाए गए थे। प्रो. हांसदा ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन समिति (संथाली भाषा) के सदस्य रहे हैँ, सेंट्रल इंस्टीच्यूट ऑफ इंडियन लैंग्वैज मैसूर, ईस्टर्न लैंग्वैज सेंटर भुवनेश्वर में संथाली साहित्य के अनुवादक, आदिवासी वेलफेयर सोसाइटी जमशेदपुर, दिशोम जोहारथन कमेटी जमशेदपुर एवं आदिवासी वेलफेयर ट्रस्ट जमशेदपुर के अध्यक्ष रहे, जिला साक्षरता समिति पूर्वी सिंहभूम एवं संथाली साहित्य सिलेबस कमेटी, यूपीएससी नयी दिल्ली और जेपीएससी झारखंड के सदस्य रह चुके हैं। दिगंबर हांसदा ने आदिवासियों के सामाजिक व आर्थिक उत्थान के लिए पश्चिम बंगाल व ओडिशा में भी काम किया।



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