तुमको ना भूल पाएंगे....
तुमको ना भूल पाएंगे....
त्याग दो बेशक मुझे
पर चैन तुम ना पाओगे
रूह में हूं मैं तुम्हारी
मुझ बिन जी न पाओगे
हर सांस में हर सोच में
हर शब्द में तेरी समाहित मैं ही हूं
हर घड़ी ,हर दिन हर
महीने और साल में
बिना शामिल मेरे ना होगा
कोई लम्हा तेरे ख्याल में
छीनना जो चाहे खुदा
उससे भी लड़ मैं जाऊंगी
पर तेरी रूखाई को
मैं सह ना पाऊंगी
त्याग दो बेशक मुझे
पर चैन तुम ना पाओगे।
अपूर्व और शालिनी आज सदा के लिए जुदा हो रहे थे । अविरल बहती आंखों से अश्रुधारा को रोकना नामुमकिन था । बस आखिरी बार मिलने को अपूर्व ने बुलाया था । बिछड़ने से पहले वो हरपल को साथ जी लेना चाहते थे । आज सक्षम होते हुए भी अपूर्व अपने किए वादे को पूरा नहीं कर पा रहा था। शालिनी का विवाह तय हो गया था। परसो उसकी शादी थी । आज वो अपने सारे रिश्ते खत्म कर नए रास्ते पर आगे बढ़ने के लिए अपूर्व से सदा के लिए विदा लेने आई थी। अपूर्व बिना शालिनी के कैसे जिएगा ? ये उसे खुद भी नहीं पता
था। पर पिताजी ने जिद्द की कि अगर शालिनी घर आई तो वो अपनी जान दे देंगे। और ये सिर्फ धमकी नहीं थी वो दो बार नींद की गोलियों कि ओवरडोज ले चुके थे।
शालिनी अपूर्व साथ पढ़ते थे । शालिनी बेहद कुशाग्र थी वो नोट्स बनाती और उन्हे याद कर अपूर्व बाज़ी मार लेता । साल दर साल पास करते हुए उनका ग्रेजुएशन भी पूरा हो गया अब वो जी-जान से पीसीएस की तैयारी में लग गए। ग्रेजुएशन होते ही शालिनी के घर में दबाव पड़ने लगा शादी का।
लाइब्रेरी में आज जब अपूर्व मिला तो शालिनी का मूड उखड़ा था। अपूर्व ने हंस कर पूछा," क्या हुआ आज चांद पर बदलियां क्यों छाई हुई है ? " शालिनी ने झुंझलाते हुए कहा," तुम्हे मजाक सूझ रहा है! यहां मेरी जान पर बन आई । पापा रोज दबाव डाल रहे मेरी शादी को लेकर। आज फिर बुआजी एक रिश्ता लाई थी , मां ने कहा जो पढ़ना था पढ़ चुकी, अब अपने घर जाकर पढ़ना। मै क्या करूं?"
अपूर्व ने शालिनी को देख चुटकी बजा कर कहा," बस इतनी सी बात! मैडम मै आपको आश्वस्त करता हूं कि आप मेरे लिए टिफिन भी बनएंगी और मेरे शर्ट के टूटे बटन भी आपही टाकेंगी । अब तो हंस दो।
" मजाक मत करो अपूर्व मै घर में सबको कैसे समझाऊं।" शालिनी ने कहा।
"मै आज तुम्हारे घर चलूंगा और अंकल-आंटी को समझाऊंगा। अब तो खुश हो जाओ ।" अपूर्व ने कहा। प्रतिउत्तर में शालिनी मुस्कुरा दी।
लगातार दो बार प्री में शालिनी का चयन हुआ अपूर्व का नहीं हुआ।तीसरी बार शालिनी नहीं हुआ पर अपूर्व का होगया ।शालिनी ने अपने मेंस के के लिए बनाए सारे नोट्स अपूर्व को दे दिए।
इसके अलावा जो भी जरूरी टॉपिक लगता लाइब्रेरी के चक्कर लगा कर जाने किस-किस किताब से खोज कर नोट्स बना लेती। परिणाम ये हुआ कि अपूर्व को सिर्फ पढ़ना था। उसके लगन को देख अपूर्व के मम्मी पापा शालिनी को उसके इस मदद के लिए आभार व्यक्त करते।
मेंस एग्जाम में सफल होने के बाद अपूर्व इंटरव्यू में भी सफल हो गया। उसका चयन एसडीएम के पद पर हो गया ।
रिजल्ट के साथ ही बधाई और रिश्तों की लाइन लग गई। एक से एक रिश्तों को देख कर अपूर्व के पापा को शालिनी अब नहीं भाती थी।
अपूर्व को ट्रेनिंग पर जाना था उसने शालिनी को घर बुलाया था कि मेरी पैकिग में मदद कर दो तभी एक आईएएस अधिकारी अपनी बेटी का रिश्ता लेकर आ गए। उन्होंने शालिनी को देख उसके बारे में पूछा, "तो उनका जवाब था अपूर्व की मुंहबोली बहन है।" ये सुन कर शालिनी के अंदर कुछ चटक सा गया। उसे अंकल आंटी का व्यवहार बहुत बदला सा प्रतीत होता।
अपूर्व मेहमान के जाने के बाद पापा पर बिफर पडा," पापा आप सब को मना क्यों नहीं करते कि मेरा रिश्ता तय हो चुकाहै। वो बोले "रिश्ता बराबर वालों में होता हैं। अब इसे मना कर दो यहां आने की जरूरत नहीं।" शालिनी रोती हुई चली गई।
पापा ने अपने और मां के प्यार कि दुहाई देकर अपूर्व को जीना छोड़ने के लिए राजी कर लिया।