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Chandresh Chhatlani

Tragedy Fantasy

5.0  

Chandresh Chhatlani

Tragedy Fantasy

भटकना बेहतर

भटकना बेहतर

2 mins
398


कितने ही सालों से भटकती उस रूह ने देखा कि लगभग नौ-दस साल की बच्ची की एक रूह पेड़ के पीछे छिपकर सिसक रही है। उस छोटी सी रूह को यूं रोते देख वह चौंकी और उसके पास जाकर पूछा, "क्यूँ रो रही हो?"

वह छोटी रूह सुबकते हुए बोली, "कोई मेरी बात नहीं सुन पा रहा है… मुझे देख भी नहीं पा रहा। कल से ममा-पापा दोनों बहुत रो रहे हैं… मैं उन्हें चुप भी नहीं करवा पा रही।"

वह रूह समझ गयी कि इस बच्ची की मृत्यु हाल ही में हुई है। उसने उस छोटी रूह से प्यार से कहा, "वे अब तुम्हारी आवाज़ नहीं सुन पाएंगे ना ही देख पाएंगे। तुम्हारा शरीर अब खत्म हो गया है।"

"मतलब मैं मर गयी हूँ!" छोटी रूह आश्चर्य से बोली।

"हाँ। अब तुम्हारा दूसरा जन्म होगा।"

"कब होगा?" छोटी रूह ने उत्सुकता से पूछा।

"पता नहीं...जब ईश्वर चाहेगा तब।"

"आपका… दूसरा जन्म कब..." तब तक छोटी रूह समझ गयी थी कि वह जिससे बात कर रही है वो भी एक रूह ही है।

"नहीं!! मैं नहीं होने दूंगी अपना कोई जन्म।" सुनते ही रूह उसकी बात काटते हुए तीव्र स्वर में बोली।

"क्यूँ?" छोटी रूह ने डर और आश्चर्यमिश्रित स्वर में पूछा।

"मुझे दहेज के दानवों ने जला दिया था। अब कोई जन्म नहीं लूंगी, रूह ही रहूंगी क्यूंकि रूहों को कोई जला नहीं सकता।" वह रूह अपनी मौत के बारे में कहते हुए सिहर गयी थी।

"फिर मैं भी कभी जन्म नहीं लूँगी।"

"क्यूँ?"

छोटी रूह ने भी सिहरते हुए कहा,

"क्यूंकि रूहों के साथ कोई बलात्कार भी नहीं कर सकता।"


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