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Madhu Andhiwal

Inspirational

4.3  

Madhu Andhiwal

Inspirational

मन मुटाव

मन मुटाव

2 mins
438



अनु बहुत उदास थी । आज रक्षा बन्धन का पावन दिवस था । सब भाई बहन रंग बिरंगे परिधानों में नजर आ रहे थे उसका कोई भाई नहीं था बस वह दो बहन थी । अब तक सब संयुक्त परिवार में रहते थे । चाचा और ताऊजी के बेटे तुषार ,कर्ण , पुलकित और अमन ही उसके भाई थे । उनके कोई बहन नहीं थी । सब में इतना प्यार था कि अब तक कभी पता ही नहीं चला कि वह उसके सगे भाई नहीं हैं । अभी कुछ समय पहले वक्त ने ऐसा मोड़ लिया कि सब में मन मुटाव हो गया । सम्पति के बंटबारे ने दिलों के बंटबारे कर दिये ।

 अब आकर अनु को पता लगा कि वह चारो भाई अब राखी नहीं बंधबायेगे । आज सुबह से वह काफी उदास थी । उसकी आंखो में बार बार आंसू आ जाते थे । वह मां से बोली मां मै कैसे भी भाईयों से मिल लूं । मां ने कहा अगर तुम्हारे भाईयों को याद आती तो क्या वह तुमसे नहीं मिल सकते थे । अनु आकर खिड़की से सामने घर के दरवाजे को देखती रही । उसी समय देखा बड़े भाई तुषार और कर्ण दोनों उसी की ओर बड़े उदास से देख रहे हैं। 

उसी समय मोबाइल की रिंग सुनाई दी । उसने देखा अमन का नं. था । जब उसने हलो कहा तो "उधर से आवाज आई क्यों छुटकी तुझे हमारी याद नहीं आ रही क्या हम सबने आज खाना भी नहीं खाया" और आवाज सिसकियों में बदल गयी । अनु भी रोने लगी बोली भाई ये बड़ो की गलतियाँ हम क्यों झेले । मै नीचे आ रही हूँ तुम सब आ जाओ । अनु ने अपनी छोटी बहन को बुलाया और राखी लेकर नीचे भागी । चारों भाईयों के दोनों बहनो ने राखी बांधी । इतना शोर सुनकर तीनों घरो से सब बाहर आगये । पहले तो सब अचकचाये परन्तु बच्चों का उल्लास देखकर सब मनमुटाव दूर हो गया । सब फिर खुशी खुशी उल्लास पूर्वक त्यौहार मनाने लगे ।



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