महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि
इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी को पड़ा । शीला अपनी सहेली लिली को बताती है कि उनके गांव शिवपुर में शिवरात्रि पर कितनी चहल पहल होती है। लिली ईसाई धर्म से संबंध रखती है। उसे हिन्दुओं के तीज त्यौहारों और रीति रिवाजों के बारे में जानकारी नहीं है। वह शीला की बातों को बडे ध्यान से सुनती है और पूछती हैं कि आखिर शिवरात्रि क्या होती हैं और इस समय पर इतनी अधिक भीड़भाड क्यों होती है।
शीला बहुत हैरान होती है कि लिली को शिवरात्रि के बारे में नहीं पता | लिली बताती है कि हमारे धर्म में ऐसे किसी भी प्रकार के त्योहार नहीं होते। शीला इस बात से सहमत होती है कि जब इनके घर में किसी प्रकार के त्यौहार नहीं मनाए जाते , तो स्वाभाविक ही है कि इनको पता ही नहीं होगा।
शीला लिली को बताती है कि हिन्दू धर्म में भगवान शिव की अराधना की जाती है। और इन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह जिस दिन हुआ था उस दिन और रात को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। लोगों की यह भी धारणा है कि इस दिन भगवान शिव ने इंद्र तथा अन्य देवताओं के विष को पी लिया था तथा उन्हें अमृत दे दिया था। महाशिवरात्रि के बारे में यह भी कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने वैराग्य जीवन का त्याग कर गृहस्थ जीवन को अपनाया था।
हमारे गांव में सभी पुरुष ,नारी तथा बच्चे भगवान शिव की अराधना करते है तथा अपने जीवन में सुख - शांत बनी रहे ऐसी मनोकामना करते है। गृहस्थ लोग अपनी गृहस्थी में जीवन भर खुशियां रहे ऐसी कामना करते है
लिली शीला से उत्साहपूर्वक पूछती है कि शिवरात्रि पर ओर क्या होता है। शीला कहती है कि शिवरात्रि पर सभी श्रद्धालु उपवास रखते है तथा मंदिर जाते है और शिवलिंग पर जल , भांग , धतूरा , बेलपत्र , बेर इत्यादि चीजें चढ़ाते है। और पूरा दिन उपवास रखते है और भजन कीर्तन करते है तथा अगले दिन महाशिवरात्री का व्रत पूरी विधि विधान से खोलते है। लिली और शीला अपना सातवीं कक्षा का पेपर देने जा रही होती है। लिली के मन में और भी सवाल है परन्तु बस के स्कूल पहुंचने पर शीला लिली से कहती है कि वो इस बारे में बाद में बात करेंगे। अभी उन्हें अपने पेपर पर ध्यान देना चाहिए और दोनों खुशी - खुशी स्कूल जाती है।
