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Nirupama Naik

Fantasy

4  

Nirupama Naik

Fantasy

डिज़्नी लैंड की सैर

डिज़्नी लैंड की सैर

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मिशी टीवी पर कार्टून बहुत देखा करती थी। जब पाँच साल की थी पापा से कहती थी - "मुझे एक बार डिज़्नी लैंड जाना है पापा। आप कभी लेकर चलो ना। आप तो बिज़नेस मीटिंग्स में विदेश जाते हैं, कभी हमे साथ लेकर डिज़्नी घुमाने लेजाएँ प्लीज।" 

पापा कहते- "ठीक है मेरी परी, मैं आपको जरूर लेकर जाऊंगा। बहुत मज़े करेंगे। लेकिन फ़ुरसत में। अभी इतना काम है और तुम्हारी छुटियाँ भी नहीं है। "

हर साल मिशी पापा से यही कहती और पापा उसे वही बहाने बताकर टाल दिया करते।

मिशी ने भी हर साल ये सब सुनकर इस साल बोला ही नहीं। सोचा हर साल पापा काम का बहाना कर देते हैं अब और नहीं कहूंगी। अब मिशी आठवीं में थी। लेकिन पापा ने इस साल की पूरी तैयारी कर रखी थी। परीक्षा खत्म होने के बाद डिज़्नी घूमने जाने प्लान पूरा इंतेज़ाम हो चुका था। मिशी के लिए ये सरप्राइज था। लेकिंग होनी को कुछ और ही मंज़ूर थी।

कोरोना वायरस फैलने के वजह से सब कुछ बंद हो रहा था। स्कूल, कॉलेज, दफ़्तर, फैक्टरियां सब पे ताला लगना शुरू होगया। कहीं घूमने तो दूर घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया।मिशी एक दिन टीवी देख रही थी और पापा ने आकर उसके पास बैठकर कहा- सॉरी बेटा, मैंने तुम्हे इस साल डिज्नी ले जाने का पूरा बंदोबस्त कर रखा था लेकिन इस हाल में अब ये सब संभव नही है। काश मैं तुम्हे पहले ही ले जाता तो आज ये अफ़सोस न रहता।

पापा को दुखी देखकर मिशी ने कहा- "कोई बात नहीं पापा और कभी चलेंगे।" 

पापा सोने चले गए। मिशी भी सोने चली गई। पापा के उदास चेहरे को वो भूल नहीं पा रही थी। उसे बुरा लग रहा था कि पापा का सारा प्लान बर्बाद होगया। कोरोना को कोसते हुए वो भी उदास हो गई। अचानक उसके सामने सोनपरी आगई।

सोनपरी को देखकर वो बेहद खुश होगई। कुछ कहने से पहले ही सोनपरी ने उसका हाथ थामा और उसे अपने साथ ले चली। बादलों के बीच से निकलते हुए। आसमान में उन्मुक्त पंछी की तरह वो दोनों उड़ने लगे। उसने सोनपरी से पूछा - "हम कहाँ जा रहे हैं?" 

सोनपरी ने नीचे की तरफ़ इशारा किया और कहा "ये तुम्हारी पसंदीदा डिज्नी लैंड है। तुम्हें यहाँ आना था ना….चलो इसकी सैर करते हैं।"दोनों ने वहाँ ख़ूब मज़े किए। डिज़्नी के किरदारों को अपने सामने देख मिशी के खुशी का ठिकाना न था। उसकी आँखों में चमक आगई। फ़िर उसने सोनपरी से पूछा - "अब तो हर जगह कोरोना फैला हुआ है, हम यहाँ कैसे आगए? "

सोनपरी ने कहा- "कोरोना जा चुका है मिशी। अब कोई डर नहीं। पापा ने भगवान से प्रार्थना की थी कि कोरोना ख़त्म होजाए और वो तुम्हें डिज्नी घुमाने लेजाएँगे। तो भगवान ने मुझे भेजा। अब सब कुछ ठीक होचुका है। "

मिशी ने कहा- "अरे वाह ! ये तो बहुत अच्छा हुआ… लेकिन पापा कहां हैं?"

सोनपरी ने अपने हाथों से इशारा किया और कहा ये देखो पापा बिल्कुल सामने खड़े हैं।मिशी ने आँखे खोली और सामने पापा खड़े थे।"मिशी कब से तुम्हे जगा रहा हूँ। ऑनलाइन क्लास शुरू होने वाले हैं चलो अब फ्रेश होजाओ।"

मिशी ने मुस्कुराया और पापा को गले लगाकर कहा पापा कोरोना जा चुका है और हम डिज्नी घूम के आगए।पापा आश्चर्य से उसकी तरफ देखते रहे। उसने पापा से अपने सपने के बारे में बताया। 

पापा मन ही मन कहने लगे-" काश ये सपना सच होजाए...डिज़्नी न जाएं तो चलेगा, लेकिन विश्व से कोरोना महामारी जैसी संकट जल्द ख़त्म कर दो भगवान ।" ये प्रार्थना करते हुए पापा के हाथ भगवान को स्मरण कर उनके प्रणाम के लिए उठगये। मिशी ने भी पापा को देख हाथ जोड़कर प्रार्थना की।

हम भी प्रार्थना करते हैं ये महामारी इन विश्व से जल्द ही खत्म होजाए। है ईश्वर हमारी प्रार्थना स्वीकार करना।



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