कुछ और इंतजार
कुछ और इंतजार
दुल्हन के वेश में सजी शगुन को मैं लगातार देखे जा रहा था कितनी खूबसूरत लग रही थी मेरी शगुन ... आज मेरी बरसों की तमन्ना पूरी हुई थी और शगुन की भी तो तमन्ना पूरी हुई थी । उसने अपना पूरा जीवन इसी उम्मीद पर गुजार दिया कि एक दिन उसका सपना जरूर पूरा होगा ...सपना... मेरी दुल्हन बनने का...
"अंकल.. आकर मेरी मां की अंतिम इच्छा पूरी कीजिए।" श्रद्धा की आवाज मुझे वापस इस दुनिया में खींच लाई ।
आज मेरी शगुन की 'अर्थी' और 'डोली' दोनों साथ उठने वाली थी । उसकी अंतिम इच्छा अनुसार मैंने उसकी मांग भर कर अपनी दुल्हन बना उसे विदा किया ।
सारी क्रिया कर्म निपटा कर सब लोग अपने घर जा चुके थे मैं और श्रद्धा ही बचे थे । मन रह रहकर अतीत में विचरना चाह रहा था । मैंने रोती हुई श्रद्धा को समझा-बुझाकर सोने भेज दिया और खुद शगुन की वीणा के साथ बैठकर यादों के सफर पर चल पड़ा ।
यादें....हां यही तो थीं मेरे पास जिन से मैं शगुन के साथ बेखौफ जा सकता था । वह मेरी पत्नी थी...मेरी जीवनसंगिनी...मेरी यादों की साथी....
मेरा कॉलेज का पहला दिन था मैं संगीत कक्ष में बैठा था तभी हिरणी की तरह कुलांचे भरते हुए शगुन कक्ष में दाखिल हुई । सांवला रंग...सुंदर नैन नक्श...लंबी लटकती हुई दो चोटियां.... चोटियों में सलीके से बंधा रिबन... मुझे सामने बैठा देख दुपट्टा संभालती हुई बोली - मुझे अमित सर से मिलना है । क्या आप बता सकते हैं कि कहां मिलेंगे?
उसकी चंचल आंखों में ना जाने क्या जादू था कि मैं उसे देखता ही रह गया और कुछ बोल ही नहीं पाया।
"नॉनसेंस" कहती हुई वो वहां से चली गई...पर मेरे मोह के धागे अपने साथ ले गई ।
हमारी दूसरी मुलाकात उसी संगीत कक्ष में हुई । अमित सर ने सभी विद्यार्थियों को गाने के लिए बोला । जब शगुन ने गाना शुरू किया तो लगा कि मां सरस्वती विराजमान हैं उसके गले में...
बहुत प्यारी आवाज थी उसकी ...
"बहुत अच्छा गाती हो"।
क्लास के बाद मैंने उसकी तारीफ करते हुए कहा ।
"अच्छा तो आप बोलना भी जानते हैं" उसने हंसते हुए कहा ।
और इस तरह हमारी दोस्ती की शुरुआत हुई । धीरे-धीरे हम हर रोज मिलने लगे कभी कैंटीन...कभी लाइब्रेरी ...तो कभी पार्क..
हम साथ मिलकर सपने बुनने लगे । बॉलीवुड में प्लेबैक करना उसका सबसे बड़ा सपना था । इतनी लंबी लिस्ट थी उसके सपनों की अगर एक बार खुलती तो खत्म होने का नाम नहीं लेती ।
कहते हैं ना कि खुशियों की उम्र ज्यादा लंबी नहीं होती हमारी खुशियों को भी किसी की नजर लग चुकी थीउस दिन शगुन ने सनसैट देखने की जिद की । हम दोनों हाथों में हाथ डाले नदी किनारे बैठकर सूरज को धीरे धीरे नदी के आंचल में उतरते हुए देख रहे थे।
"जानते हो डूबता हुआ सूरज क्या कहता है ?" उसने मुझसे पूछा और फिर खुद ही बोली - "वह कहता है जा तो रहा हूं कल फिर आऊंगा उसी तेज.. उसी चमक.. के साथ मेरा इंतजार करना ।"
ऐसी आशा ,उम्मीद और उत्साह से भरी थी मेरी शगुन...
वापसी में देर हो गई थी , अंधेरा गहराने लगा था .. सर्दियों के दिन वैसे भी जल्दी छुप जाते हैं ना ।
हम दोनों घर पहुंचने की जल्दी में थे और तेजी से अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ रहे थे तभी अचानक कुछ लड़के आए और बदतमीजी शुरु कर दी मैंने रोकने की बहुत कोशिश की तभी पीछे से किसी ने बेंत का प्रहार मेरी कनपटी पर किया मैं अपनी चेतना खोने लगा था उन्होंने शगुन को पकड़ लिया मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहा था वह तड़प रही थी मैं बेबस था धीरे-धीरे मैं पूरी तरह बेहोश हो गया ।
होश आया तो खुद को अस्पताल में पाया दिमाग पर जोर डाला तो सब कुछ याद आ गया मैंने नर्स से शगुन के बारे में पूछा उसने बताया वह आईसीयू में है ... हालत गंभीर है उसकी... मैं अपनी बेबसी पर रो पड़ा मेरे माता पिता उसका परिवार सब लोग आ चुके थे। कुछ दिनों में मैं ठीक हो गया पर वह होश में नहीं आ पाई ।
डॉक्टर्स के अथक प्रयास और हम सब की प्रार्थनाओं से महीने भर में उसे होश आया । धीरे-धीरे वह रिकवर करने लगी मैं हर रोज उससे मिलने जाता था । हम सबका प्यार उसे वापस जिंदगी की ओर खींचने लगा ।
"मां शगुन अब ठीक है मैं उससे शादी करना चाहता हूं" ... मैंने मां से कहा ।
" दोस्ती तक तो ठीक है पर जिस लड़की की आबरू सरेबाजार लूट ली गई हो उसे हम अपनी बहू नहीं बना सकते" ... जवाब पिताजी ने दिया ।
मेरे लिए शगुन आज भी वही है जो इस हादसे से पहले थी मैंने साफ़ शब्दों में कहा - "शादी करूंगा तो शगुन से नहीं तो किसी से नहीं ।"
आखिर मेरी जिद के आगे उन्हें मेरी बात माननी पड़ी हमारी सगाई की रस्म की तैयारी होने लगी सगाई के वक्त अचानक शगुन चक्कर खाकर गिर पड़ी । डॉक्टर को बुलाया गया तो पता चला कि वह मां बनने वाली है । हम सब स्तब्ध थे और परेशान भी ...
शगुन की हालत देख डॉक्टर अबॉर्शन करने को तैयार नहीं थी और बच्ची के साथ शगुन को अपनाने के लिए मेरी फैमिली तैयार नहीं थी । शादी करने पर मां ने खुद को खत्म कर देने की धमकी दी थी । उस दिन शगुन से बात करते-करते मैं अपनी लाचारी पर रो पड़ा । शगुन ने मुझे कहीं और शादी के लिए मनाने की कोशिश की पर मेरा दिल कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था ।
अचानक शगुन उठते हुए बोली शादी तो मैं भी तुमसे ही करूंगी किसी और से नहीं... पर तुम्हें इंतजार करना पड़ेगा.. एक लंबा इंतजार...
मैं तुम्हारा जिंदगी भर इंतजार कर सकता हूं पर कैसे ? यह तो बताओ मैंने खुश होते हुए कहा । अचानक से गंभीर होते हुए वह बोली देखो हम मां की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं कर सकते और ना इस बच्चे को खत्म कर सकते हैं । मैं इस बच्चे को जन्म दूंगी इसका पालन पोषण करूंगी और एक मां की पूरी जिम्मेदारी निभाऊंगी... बस तुम मेरे साथ रहना हमेशा...
अपनी जिम्मेदारी पूरी कर मैं तुमसे शादी करूंगी । बोलो मंजूर है तुम्हें ?
तुम्हें अपनी दुल्हन के रूप में देखना मेरा सबसे बड़ा सपना है मैं उसके लिए कुछ भी करूंगा कहते हुए मैंने शगुन को गले लगा लिया ।
समय पर श्रद्धा का जन्म हुआ । शगुन ने नौकरी कर ली सिंगल पैरंट बनकर उसका पालन करने लगी थी । हम हर रोज मिलते अपने सुख-दुख बांटते और खुश रहने की कोशिश करते ।
श्रदा की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी जॉब करने लगी थी अब वो.. । शगुन ने उससे कुछ नहीं छुपाया था उसके बारे में सब कुछ उसे बता दिया था ।
"अब बस इसके हाथ पीले कर दूं फिर तुम्हें भी अपने आंचल से बांध लूंगी ।" वह अक्सर कहती...
एक बार जॉब के सिलसिले में मुझे टूर पर जाना पड़ा ।श्रद्धा का फोन आया मां की तबीयत बहुत खराब है वापस आ जाइए मुझे घबराहट हो रही है ।
मैं अगली फ्लाइट लेकर वापस आ गया । शगुन मानो मेरी ही प्रतीक्षा कर रही थी...श्रद्धा का हाथ मेरे हाथ में देती हुई बोली - "अपनी जिम्मेदारी तुम्हें सौंप कर जा रही हूं इसका ख्याल रखना ।
"तुम अपना वादा नहीं तोड़ सकती शगुन अभी तो हमें शादी करनी है... तुम्हें अपनी दुल्हन के रूप में देखना है मुझे" ... मैं तड़प कर बोला ।
"तुम्हारी दुल्हन बने बिना तो मैं यमराज के भी साथ जाने से मना कर दूंगी उसने हंसने की कोशिश करते हुए कहा । अपनी दुल्हन बनाकर लाल जोड़े में विदा करना मुझे... यही मेरी आखिरी ख्वाहिश है".... यह कहते हुए उसने दम तोड़ दिया...!!
और मुझे छोड़ गई प्रतीक्षा की डोरी थमा एक लंबे सफर पर ....!!!
अगले जन्म में हम जरुर मिलेंगे शगुन... मेरा इंतजार करना ...मैं आऊंगा... हमारा प्रेम जरूर पूरा होगा ...
बस कुछ और इंतजार.....!!!