काश....
काश....
चौखट पर कलश गिरा उसने खुद को दरवाजे के भीतर समेट लिया था
पति और बच्चे ही उसकी दुनिया थे...
बहुत खुश थी वो...
तुम्हारे साथ दम घुटता है मेरा !! मुझे शालू के साथ रहना है... इन चंद शब्दों ने उसका वजूद हिला दिया।
काश ....कि उसने अपनी हसरतों का दरवाजा खुला रखा होता और वक्त के साथ कदम मिलाया होता तो आज बेबस ना होती वो...
काश.....