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Kunal kanth

Romance Tragedy Classics

4.4  

Kunal kanth

Romance Tragedy Classics

पहला प्यार

पहला प्यार

4 mins
737


यूं तो दीवानगी की कोई हद कोई उम्र नहीं होती।

पर जब ये  अधूरी हो पूर्ण  ही कहलाती तब वो इतिहास में एक अनोखी कहानी लिखी जाती।

ऐसी ही एक कहानी है "पहला प्यार"।

यह पूर्णतया काल्पनिक है इसमें इस्तमाल किय गए चरित्र काल्पनिक है धन्यवाद।

पहली किरण के साथ निकला टहलने मैं अद्वितीय स्फूर्ति जगा,  हवाओं की हस्ती में उड़ता चला जा रहा था, यूं तो मन में नहीं उबाला था कि 

नैनों से घायल मैं हो पाऊंगा कभी पर क़िस्मत को तो मंजूर कुछ और ही था, कदमों के उठा पटक के बीच अचानक ठहराव शब्द प्रधान बन गया

जब तक खुद को बता पाता समझ पाता

मैं घायल हो चुका था, नजरों का बार बार टकराना दिल का सीने को धकेल धड़क उठना चलता रहा चलता रहा, सड़क के उस पार एक ग्वाले का घर था जिनकी बेटी का विवाह होगा शायद, उनके घर खूब मस्ती माहौल था तथा गानों का रंगारंग कार्यक्रम चल रहा था 

उस वक़्त और भी शानदार लगने लगा 

जब मेरी और उसकी आंखें एक पल के लिए

एक दूसरे में खो चली, अब ये करामात उस डीजे वाले की थी या क़िस्मत की, ये बात दोनों जाने

पर यहां हर गाना मेरे दिलों दिमाग़ को पढ़ कर ही बजता रहा,

"नहीं चल सकूँगा तुम्हारे बिना मैं मेरा तुम सहारा बनो इक तुम्हें चाहने के अलावा और कुछ हमसे होगा नहीं बोल दो ना ज़रा दिल में जो है छिपा मैं किसी से कहूँगा नही" शायद हम दोनों का गाने के बोल पे उतना ही ध्यान था जितना एक दूसरे पर और गाने के बोल सुन उनकी निगाहों पे वो तिलिस्मी मुस्कान और लज्जा के साथ हलकी हलकी पलकों को झुकाना

मेरे दिल को बुरे तरीके से घायल करने के लिए काफी था मानों वर्षों से थका सुकून की बारिश में भीग रहा दिल जोड़ जोड़ से धड़क वहां से कुछ कह रहा, मत कर बेमानी मुझसे वो पास है 

मान लो मेरा आज एक अलग जगह है। लंबी लंबी सांसें छोड़ मैं उससे कह रहा-

ऐ नादां दिल संभालो खुद को बेकाबू मत हो

तुम्हारी यही जगह है ।

"ख़ामोशियाँ रखती हैं अपनी भी एक जुबां ख़ामोशी को चुपके से सब कह जाने दो कुछ तो हुआ है ये क्या हुआ जो ना पता है ये जो हुआ कुछ तो हुआ है समझो कुछ समझो ना" 

और इस गाने ने तो जां ही निकाल दी 

मानो मुक संवादों के गहरे राज़ खुल गए

उसकी आंखें भी बेशक जानती थी 

अंकित तिवारी की ये संगीत जादुई सा असर कर रही थी बातों का आदान प्रदान कर रही थी 

आज कयामत पे कयामत आ चुकी थी 

सर्द के मौसम में पसीने की बाढ़ आ चुकी थी

साहस कर हमनें एक पल ही साथ साथ एक दूसरे को कहा आप कहां जा रहे 

शब्दों के इस अचानक प्रहार से हम दोनों 

खूब हसे फिर नन्हें नन्हें कदमों से चल पड़े

कुछ ही कदमों के बाद अचानक जोड़ का उसका फ़ोन बजा हां......पापा आ रही ।

जादुई आवाज़ में उसने एक सवाल किया

" आपका नाम और नज़र मेरी तरफ देख मानो बता रही अब और ज्यादा देर नहीं 

हां मुश्किल से कुछ शब्द जोड़ कह गया

कुणाल पर बेवकूफ इतना कि ना पूछ पाया नाम

पर वो समझ गई, हलके स्वर में ल्टों को कान से हटा बोल पड़ी "अपर्णा" 

थोड़ी बात चीत के बाद पता चला वो भी बायोलॉजी की छात्रा है और कुछ नोट्स के लिए अपने फ्रेंड के घर जा रही,

सिर्फ ५ कदम का साथ बाकिं रह गया 

तभी अधेड़ गालिब मन में फुदका कुछ 

छोड़ दूं इस हाल में खुद को या बहका लूं इसे

आज उसे पाने के लिए 

इसी अधेड़ बुन में फस आखिर मैं बोल पड़ा

बड़े सहज अंदाज़ से ' अच्छा अपर्णा क्या आप मेरे नोट्स रख सकती है मेरे पास डबल है 

(वैसे डबल तो क्या वो मेरा लिखा भी नहीं था) 

बड़े सोच विचार कर वो बोल पड़ी जी 

पर अभी ..........

मैने बहत उत्सुक भाव में कह दिया

अपना नंबर दीजिए मैं यही इंतजार करूंगा आप आ जाना ........ 

नयन को उछाल उछाल उतावली हो मुझसे ज्यादा सहज अंदाजा में वो बोल पड़ी

हां ये आइडिया अच्छा है 

आप नोट करो 

नाइन नाइन ...

हां....

टू डब्ल ज़ीरो 

थ्री फोर ऐट 

क्या 

थ्री फोर ऐट 

हां 

अपर्णा अपर्णा जल्दी आओ पापा बुला रहे 

तीखे स्वरों में दिल को चिड़ते उसके भाई की आवाज जो बड़े बड़े आंखों से गुर्रा रहा हमारे संवाद पे 

ऐसा लगा मानो बोर्ड के एग्जाम में एक अधा अधूरा क्वेश्चन छूट जाने के बाद टीचर का कॉपी छीनने का प्रहार, अभी तुरन्त तिरहे के पास खड़ा था उसका भाई, बाइक ले आ पहुंचा 

उसने एक नज़र मुझे देखा मानो नयन से कह रही हम फिर जरूर मिलेंगे 

और वो बैठ के चली जाती है ये आखिरी के पल मेरे स्वांस रोकने के काबिल था 

मेरा दिल मानो चीख चीख रूदन कर रहा था

हताश में था मैं अभी अभी तो सुकून मिल रहा था ये खामोशी कब मेरे दामन आ पहुंची

सूझ बूझ की शक्ति खो चुका था फिर हिंदी गाने की तरफ मैं कहां हाथ फेरा 

खुद में देख ही रहा था कि क्या हो रहा 

तब तक मैं एक दुर्घटना का शिकार हो गया

आठ डिजिट आज भी जब जब देखता हूं तो 

वो मुलाकात और वो संवाद मुझे मुक कर देता

पहली नज़र में प्यार होता है पहला प्यार बहत खुमार देता पूरे बदन पे, ये पूर्ण हो अधूरा कहलाता है पर उस पल की वो स्मृति बहत सुकून दे जाती है,

मेरा पहला प्यार अधूरा हो कर पूर्ण।


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