Kunal kanth

Tragedy

4.3  

Kunal kanth

Tragedy

वैश्या, एक खूनी संघर्ष

वैश्या, एक खूनी संघर्ष

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ये उसी की कहानी है। जी हाँ वही अपनी बर्षा घोष।वही बर्षा घोष जो दिल खोलकर हँसती और हंसाती थी।वही बर्षा घोष जिसे समय ने वेश्या बना कर रख दिया।समय की विषमता तो देखिएमैं अपने व्यवसाय से संबंधित किसी काम से कहीं बाहर गया था।बस वाले कि मेहरबानी से मैं लगभग 2 घंटे देर से पहुंचा।

रात के 9 बजे तक अपने गंतव्य तक पहुंच गया लेकिन विलंब होने के कारण कोई काम न हुआ।लगभग 8 घंटे के बस के सफर में काफी थक गया था तो जल्दी से एक होटल में कमरा लिया।भोजन किया और आराम करने चला गया।थोड़ी देर बाद जब थकावट कम हुई तो अपने संगणक यंत्र पर कुछ काम निपटाने लगा।तभी उसी वक़्त लगभग रात के 12 बजे के आस पास किसी ने मेरे कमरे का दरवाजा खटखटाया।पहले तो मुझे हैरत हुई कि यहाँ तो कोई भी मुझे जानता नही है फिर इतनी रात को भला कौन हो सकता है।अनजान जगह पर इतनी रात को दरवाजा खोलने में मुझे काफी संकोच हो रहा था।

फिर भी मैंने हिम्मत जुटा कर दरवाजा खोला।तो सामने का मंजर रूह कँपाने वाला था।


एक हवसी इंसान अर्द्धनग्न अवस्था में किसी लड़की की जबरदस्ती खींच कर अपने कमरे में खींच कर ले जाना चाहता था लेकिन वो लड़की उसके साथ बिल्कुल नही जाना चाहती थी।वो जोर जोर से रो रही थी और मेरी ओर बड़ी उम्मीद भारी निगाहों से देख रही थी।मैंने बीच मे दखल देते हुए पूछा कि ये क्या हो रहा है तो भाई साहब मुझपर काफी भड़क उठे।गाली गलौज करने लगे, लेकिन कुछ बताने को तैयार न थे।


मैंने उस लड़की की ओर मुखातिब होकर पूछा तो उसने बताया कि वो एक वेश्या है और उसके पीरियड्स चल रहे हैं और उसके पेट मे काफी दर्द हो रहा है।

ऐसे में वो शारीरिक संबंध बनाने को कतई तैयार न थी लेकिन भाई साहब को ठरक काफी ज्यादा चढ़ी हुई थी, वो एक सुनने को तैयार न हुए।मैंने उन भाई साहब को बहुत समझाने का प्रयास किया, लेकिन कोई फायदा न हुआ।अंत में मुझे किसी औरत की इच्छा का सम्मान करने के लिए उनसे हाथा पाई करनी पड़ीऔर ना चाहते हुए भी उनकी पिटाई करनी पड़ी। हालांकि 4 या 5 ठीक से याद नही लेकिन शायद सिर्फ इतने ही थप्पड़ से उनका नशा उतर गया था।


पिटाई के उपरांत होटल वालों ने इस मामले में हस्तक्षेप किया और उन्हें रात में ही होटल से बाहर निकाल दिया।चूंकि रात काफी हो चुकी थी तो ऐसे में उस लड़की ने मुझसे गुजारिश की कि मैं रात को उसे अपने कमरे में ठहरने की अनुमति दूँ।हालांकि मैं शादीशुदा इंसान हूँ। सामाजिक प्रतिष्ठा का ध्यान आते ही मैं डर से गया लेकिंन उसकी हालत देखकर मुझसे रहा ना गया और मैनें हामी भर दी।फिर बातचीत के दौरान पता चला कि उसका नाम बर्षा घोष है।

जी हाँ वही बर्षा जिसकी चर्चा मैंने कहानी के शुरुआत में की थी।अब चूंकि वो काफी डरी सहमी हुई थी तो उसे दो प्यार भले बोल की उम्मीद थी तो मैं उससे बातें करने लगा।उसकी प्यारी बातें, वो प्यारी सी मुस्कुराहटसाला यकीन नही आता कि कोई भी इंसान इस मुस्कुराहट का दुश्मन कैसे बन सकता है।

चूंकि किसी वेश्या से मेरा यह पहला साक्षात्कार था तो मैं बहुत जिज्ञासु था उसके बारे में जानने को ।इसीलिए मैंने उसे बिना रोके टोके बोलने को छोड़ दिया।


वो बोलती रही, मैं सुनता रहा।उसकी बातों में इस कदर खो गया कि कब रात गुजर गई पता ही न चला।उसने अपने बारे में जो बताया उसका सारांश इस प्रकार है।वो अपने माता पिता की इकलौती संतान थी।उसके पिता ड्राइवर थे, तो हमेशा बाहर ही रहते थे।दुर्गा पूजा का त्योहार मनाने घर आये थे। उसके बाद जब वापस अपने काम पर गए तो कभी वापस ना लौटे। सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो गयी थी।उस समय बर्षा की उम्र लगभग 7 साल के आसपास थी।

उसकी माँ के पास कोई उपाय नही था घर चलाने को,तो उसने विवश होकर देह व्यापार के धंधे में कदम रखा।और अपनी बेटी का लालन पालन करने लगी।अपनी बेटी को हर दुख से बचाने का प्रयास करने लगीं।उसे पढ़ाने लिखाने लगी ताकि उसकी(बर्षा) का जीवन शुखमय बन सके।लेकिन विधाता को कुछ और ही मंजूर था। उसे जब किसी को तकलीफ देनी होती है तो वो मुसीबतों का पहाड़ गिरा देता है।


बर्षा के आठवीं कक्षा तक पहुंचते ही उसकी माँ की तबियत काफी खराब होने लगी जिस कारण उन्हें अपना व्यवसाय छोड़ना पड़ा।जिस कारण से उन्होंने वेश्यावृत्ति का रास्ता चुना था, अब वो रास्ता धुंधला धुंधला से दिख रहा था।आनन फानन में उन्हें कुछ समझ नही आया और उन्होंने बर्षा की शादी कर दी,लड़का अच्छा था, किसी हार्डवेयर के दुकान में सेल्समेन का काम करता था।कमाई सही तो परिवार का गुजारा आसानी से हो जाता था।

सब कुछ सही चल रहा था।इसी बीच बर्षा की माँ ने अपनी आखिरी साँस ले ली।


अब बर्षा इस दुनियां में सिर्फ और सिर्फ अपने पति के सहारे थी।शादी के लगभग 4 साल बाद बर्षा ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया।

सब कुछ सहीएकदम अच्छे से चल रहा था।फिर एक दिन अचानक बर्षा को मालूम पड़ा कि उसके पति का किसी दूसरी औरत के साथ चक्कर चल रहा है।

उसका तो जैसे संसार ही उजड़ गया हो।फिर भी उसने अपने आप को संभाला और अपने पति से बिना किसी शिकायत के अपनी बेटी का मुँह देखकर रहने लगी।अब बर्षा की बेटी लगभग 4 साल की हो चली थी।और उसका पति भी अब उससे किनारा करने लगा था।


एक दिन अचानक उसका पति अपनी प्रेमिका से शादी करके उसे अपने साथ घर ले गया जहाँ बर्षा और उसकी बेटी भी पहले से थी।अब पानी नाक के ऊपर हो चला था तो बर्षा से रह न गया और उसने अपने पति से झगड़ा करना शुरू कर दिया।बात भी सही हैऔरत कुछ भी सहन कर सकती है लेकिन अपने पति का बंटवारा नही कर सकती।यह मामला तूल पकड़ता गया और कोर्ट कचहरी तक पहुंच गया।अंत मे दोनो का तलाक हो गया।चूंकि उस समय बर्षा की बेटी काफी छोटी थी तो कोर्ट का आदेश हुआ कि बेटी अपनी माँ के पास रहेगी।काफी मेहनत मशक्कत के बाद बर्षा को किसी कंपनी में गार्ड की नौकरी मिली।नौकरी से मिलने वाली तनख्वाह इतनी थी कि उसका और उसकी बेटी का गुजारा आराम से चलने लगा था।वो पति से अलग होकर अपना जीवन खुशी खुशी जीने लगी थी।


लेकिन ऊपर वाले को इसकी खुशी बिल्कुल नामंजूर थी।कोरोना काल में जब उसकी नौकरी चली गयी तब उसने जो पैसे बचा कर रखे थे उनसे किसी तरह गुजारा करने लगी।फिर भी वो खुश थी कि क्योकि उसकी बेटी उसके साथ थी।लॉक डाउन काफी लंबा चला था जिस कारण उसकी सारी जमा पूंजी समाप्त हो गयी थी। यहॉं तक कि उसकी हालत इतनी ज्यादा खराब हो गयी थी कि 1 किलो चावल खरीदने के लिए उसके पास पैसे ना थे। इसके लिए उसे काफी रोना गिड़गिड़ाना पड़ा था।


अपनी हालात खराब होते देख उसने अपने कलेजे पर पत्थर रख कर अपनी बेटी को अपने पति को सौंप दिया।यह बात शाश्वत सत्य है कि हर बाप के लिए उसकी बेटी राजकुमारी होती है और वह अपनी बेटी की खुशी के लिए कुछ भी कर सकता है।ठीक यही बात बर्षा के पति पर भी लागू थी।उसने सहर्ष अपनी बेटी को अपने पास रख लिया।यहाँ एक बात गौर करने वाली है कि जिस माँ ने अपनी संतान को 9 महीने तक गर्भ में रखा, उसे इस संसार मे लाने के लिए इतने कष्ट सहे। उसी संतान को मजबूरी में छोड़ना पड़ा रहा है।उस माँ यानी बर्षा पर क्या बीत रही होगी।यह सोचकर ही आँख में आँसू आ जाते हैं।


खैर अब बर्षा की जिंदगी में शुरू होती है उसे खुद को जिंदा रखने की जद्दोजहद।पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर रहने वाली बर्षा के पास ना कोई काम बचा था ना कोई आमदनी।ऐसी बुरी हालत में उसे अपने एक पुराने मित्र या फिर आशिक कह लीजिए कि याद आई जिसका नम्बर कभी उसने अपने मोबाइल में सेव कर रखा था।काफी हिम्मत जुटाकर उसने नम्बर मिलाया और अपना परिचय दिया।परिचय देने के बाद उसके मित्र ने अपनी मित्रता निभाई।

अगले ही दिन वो उससे मिलने उसके पास गया।वो सही मायने में एक अच्छा इंसान था।उसने बर्षा की सहायता पैसे देकर नही की बल्कि उसके रोजगार का उपाय लगाया।यहाँ पर मानता हूँ कि वेश्यावृत्ति कोई अच्छा रोजगार नही हैलोग इसे बड़े ओछी नजर से देखते हैं।लेकिन डूबते को तिनके का सहारा ही काफी होता है।बर्षा के मित्र ने अपने सभी दोस्तों से उसकी जानपहचान करवाई।वो सभी जब भी उधर जाते तो बर्षा को रात भर का काम लग जाता और साथ ही अच्छी कमाई भी हो जाती।


धीरे धीरे बर्षा का संपर्क इस धंधे के दलालों से हुआ जो उसे बराबर काम देने लगे।अब उसके पास पैसों की कोई कमी नही है।इन्ही दलालों के दिये हुए काम के दौरान उसे एक अधेड़ उम्र के आदमी से भेंट हुई, जो उसपर इस कदर दीवाना हो चला था कि वो बर्षा को शादी करने को बोलता है यहॉं तक कि वो बर्षा को 3 लाख रुपये देने तक को तैयार है।बीते रात जिस आदमी की मैंने पिटाई करी थी वो वही अधेड़ उम्र के व्यक्ति थे जिन्होंने ठरकपन में किसी स्त्री की भावनाओं तक खयाल ना रखा।


अच्छी कद काठी, भरा पूरा यौवन, प्यारी सी मुस्कान। इन सभी के कारण वर्तमान समय मे उसका एक बॉयफ्रेंड है जो कि शादीशुदा है।वो बर्षा के बारे में सारी असलियत जानता है लेकिन फिर भी वो बर्षा से शादी करना चाहता है लेकिन बर्षा अच्छे से जानती है कि दूसरी औरत आने के बाद पहली का क्या हश्र होता है।इसीलिए वो शादी से इनकार कर देती है।


अब इस धंधे में आये बर्षा को लगभग 2 साल हो चुके हैं।और उसका विश्वास इस दुनिया पर से विश्वास उठ गया है।उसका मानना है कि अब वो अकेले पूरा जीवन व्यतीत करेगी।इस वेश्यावृत्ति के धंधे से वो इतना पैसा कमा कर रख देगी की उसके बुढापे में कोई परेशानी ना होगी।जो भी कहा जाए

किसी भी इंसान के जीवन मे उतार चढ़ाव आते हैं लेकिन इसकदर किसी को टूटते हुए पहली बार देखा है मैंने।उम्मीद करता हूँ कि अब इस जीवन मे किसी दूसरी बर्षा से भेंट ना हो।क्योंकि जो उस पर बीती है उसकी सोच कर भी हालत पतली हो जाती है।


उसकी हालत सुनकर मुझे भी रोना आ रहा था लेकिन क्या करूँ मर्द हूँ रो नही सकता।ऊपर वाला बर्षा को इस जालिम दुनिया से लड़ने की ताकत दे।

उसकी मुस्कुराहट बनाये रखे।उसकी वो नम आँखें उसकी वो मुस्कुराहट हमेशा के लिए मेरे जेहन में बस चुकी है।


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