STORYMIRROR

Sumit Mandhana

Abstract

3  

Sumit Mandhana

Abstract

अब प्रकृति को हम बचाएंगे

अब प्रकृति को हम बचाएंगे

1 min
534

धरती हमारी मां है, पानी है पालनहारा

हवा ने ही तो, हमारा जीवन है संवारा।


यही हमारी पूंजी है, यही हमारा सहारा

इनके बिना जीना, हमें नहीं है गवारा।


पानी को हम नष्ट करके, हवा को दूषित कर रहे हैं

देखो तो हम धरती मां के साथ कैसा अन्याय कर रहे हैं।


जिनकी गोद में जन्म लेकर, गोद में ही ले लेटेंगे दोबारा

फिर भी इसे मलिन कर रहा है, धरती मां का प्यारा ।


अब भी अगर जरा सी शर्म बची है, जिंदा है जमीर तुम्हारा

तो ना जल को नष्ट करना, ना वायु को मलिन दोबारा।


सुमित मानधना 'गौरव'


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract