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Sumit Mandhana

Abstract

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Sumit Mandhana

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अब प्रकृति को हम बचाएंगे

अब प्रकृति को हम बचाएंगे

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धरती हमारी मां है, पानी है पालनहारा

हवा ने ही तो, हमारा जीवन है संवारा।


यही हमारी पूंजी है, यही हमारा सहारा

इनके बिना जीना, हमें नहीं है गवारा।


पानी को हम नष्ट करके, हवा को दूषित कर रहे हैं

देखो तो हम धरती मां के साथ कैसा अन्याय कर रहे हैं।


जिनकी गोद में जन्म लेकर, गोद में ही ले लेटेंगे दोबारा

फिर भी इसे मलिन कर रहा है, धरती मां का प्यारा ।


अब भी अगर जरा सी शर्म बची है, जिंदा है जमीर तुम्हारा

तो ना जल को नष्ट करना, ना वायु को मलिन दोबारा।


सुमित मानधना 'गौरव'


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