मिलने चोरी छुपके
मिलने चोरी छुपके
मिलने चोरी चुपके से पनघट पर,
तुम बुलाती रही मै आता रहा,
एक कसम सात जन्म साथ रहने की,
तुम खिलाती रही मै खाता रहा।
कहती आओ पनघट पे बाते करे,
नैंनो में नैन मिलाके हो जाये गुम,
अब न दिखे कोई तुम्हारे सिवा,
हर मौसम तुम बिन लगे गुमसुम
एक दूजे प्रेम अथाह है हमे,
तुम जताती रही मै जताता रहा।
मै भी कहता स्वर्ग तक साथ हूं मै,
बिन तुम्हारे न एक पल चैन मिले,
ना हो पास कोई ग़म तुम्हारे कभी,
ख़ुशी ही ख़ुशी तुमको दिन रैन मिले
मन में दोनों के प्रीत की ज्वाला,
तुम जगाती रही मै जगाता रहा।