फिर ऐसा हो जाएगा
फिर ऐसा हो जाएगा
अफरा तफरी मची हुई है
बेशक़ से चंहुँ ओर
हिंसा और नफरत से डूबा
धरती का हर छोर
लेकिन जग में शांति का
फिर साम्राज्य हो जाएगा
मानो या ना मानो इक दिन
फिर ऐसा हो जाएगा
विनाश की ही बातें हैं
परमाणु क्रांति का है दौर
हथियारों की लगी लगी होड़
युद्ध-युद्ध केवल युद्ध और
लेकिन हर सरहद के भीतर
कायम सौहार्द हो जाएगा
मानो या ना मानो इक दिन
फिर ऐसा हो जाएगा
कुर्सी पर बैठे दिखते हैं
डाकू-गुंडे-तस्कर चोर,
जनता से आकर जनता पर
ही करते है ज़ुल्म घनघोर
कल अवाम में से फिर कोई
गाँधी बनकर आएगा
मानो या ना मानो इक दिन
फिर ऐसा हो जाएगा
हरिश्चन्द्र के देश में
सच्चाई की टूटी डोर
झूठ का साम्राज्य हुआ है
जाने सच्चाई बैठी किस ठौर
एक दिन लेकिन वापस
सच का राज हो जाएगा
मानो या ना मानो इक दिन
फिर ऐसा हो जाएगा
कालिख लेकर सारे जग की
खोई है स्वर्णिम आभा
मन में फिर भी सबके है
बची सुहानी इक आशा
देश हमारा, जगत ये सारा
पहले सी गरिमा पायेगा
मानो या ना मानो इक दिन
फिर ऐसा हो जाएगा।