तन्हाई
तन्हाई
लोग कहते हैं कि तन्हाई बुरी चीज़ है
पर वो तन्हाई को जानते नहीं
इसलिए ऐसा कहते हैं,
तन्हाई तो आईना दिखाती है
जिसमे हम अपने अंदर तक झाँक लेते हैं,
तन्हाई तो एक दोस्त है
हमारे दिल की बात हमें सुनाती है,
वैसे तो बहुत शोर होता है हमारे आस-पास,
तन्हाई माँ की तरह हमारा ध्यान रखती है,
जब भी अकेले होते हैं हम,तो आ जाती है साथ देने हमारा,
तन्हाई एक राहगीर भी है,
अपनी बड़ी सी पोटली लिए,
जिसमे होती है कुछ यादें, कुछ बातें,
कुछ कहानियां, कुछ हसरतें,
कुछ सपने, कुछ ख्वाहिशें,
कभी कुछ आंसू तो कभी मुस्कुराहटें,
तन्हाई एक अच्छी मेहमान भी है,
जब जाती है तो कुछ ना कुछ देकर जाती है,
कुछ भाव,कुछ शब्द, कुछ कवितायें,कुछ कहानियाँ,
ऐसे तोहफे देख कर दिल ही नहीं ,घर की दीवारें भी मुस्कुरा उठती हैं,
और एक जिद्दी मेहमान की तरह ये टिकी नहीं रहती,
आती है और फिर जल्दी से चली जाती है,