उदास मन जब कभी ,
उदासियों में और घिरता जाए ,
तब ज़िव्हा पर नई धुने ,
अपने आप ही बुनता जाए |
फिर जब खुशियाँ मिलें ,
तब उनके नशे में घुलता जाए ,
ये ज़िव्हा ही नहीं हर अंग ,
नई सरगमें और चुनता जाए |
संगीत भाषा अंतर्मन की ,
जो हर मनोदशा के घाव भरती ,
कभी भक्ति कभी प्रेम रस को ,
धीरे - धीरे उजागर करती |
संगीत ही तो जीवन ,
इसके बिना विचलित मन ,
हर उम्र में ये भाता ,
जाते - जाते भी प्राणी गुनगुनाता |
संगीत साधना है .....
साधक की अराधना है ,
संगीत से बना ये तन ,
संगीत के लिए सदा अर्पण ||