कुछ करना है, तो डटकर चल।
कुछ करना है, तो डटकर चल।
कुछ करना है, तो डटकर चल।
थोड़ा दुनिया से हटकर चल।
लीक पर तो सभी चल लेते है,
कभी इतिहास को पलटकर चल।
बिना काम के मुकाम कैसा?
बिना मेहनत के, दाम कैसा?
जब तक ना हासिल हो मंज़िल
तो राह में, राही आराम कैसा?
अर्जुन सा, निशाना रख,
मन में, ना कोई बहाना रख।
लक्ष्य सामने है, बस
उसी पर अपना ठिकाना रख।
सोच मृत, साकार कर,
अपने कर्मों से प्यार कर।
मिलेगा तेरी मेहनत का फल,
किसी और का ना इंतज़ार कर।
