निशाना
निशाना
जीवन अगर जीना हो तो
मुड़कर ना देखो कभी पीछे मे
रखो ध्येय अपने मन में
लगाओ निशाना अपने ज़िद में।।
दुनिया में अनेक बेगाने देखें
गाँव शहर अजनबी भी देखें
इंसानों का शहर है लेकिन
अभिलाषा में जीत भी देखी।।
मुस्कुराने की वजह भी आई
कभी नैनों को रोते भी देखा
डर लगा मुझे अपनों से
और मतलब से लड़ते देखा।।
ना पूछो तो अच्छा है
जिंदगी में और क्या क्या देखा
आजकल इंसानों मैं मैंने
सबको हराने की स्पर्धा देखी।।
जो इंसान होते बेखबर
गली नाली में पड़े देखा
पीकर होते हैं बेहोश
जवाबदारी से भागते देखा।।