Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Nisha Nandini Bhartiya

Abstract

5.0  

Nisha Nandini Bhartiya

Abstract

मत छीनो बचपन

मत छीनो बचपन

1 min
565


मत छीनो बचपन

जीने दो इन बच्चों को 

लादो मत शिक्षा का बोझ

मत छीनो बचपना इन का

बदलो मत इनकी सोच            

दूध पीने की उम्र में 

छीन कर माँ की गोद 

बोझ देकर बस्ते का 

भेज रहे स्कूल में 

सीख जाते खेल खेल में 

कला ये जीवन जीने की

परस्पर सहयोग से 

सुख-दुख बांटने की।


भेद नहीं जाति-धर्म का 

रहते संगठित होकर हरदम

बंद करके तन की आँखों को

मन की आँखों से करते कर्म

लुका छिपी का खेल हो

या खेलना हो पानी में 

पकड़ा-पकड़ी भागम-भाग

अक्कड़ बक्कड़ बम्बे बो

ज्ञान छिपा है इन खेल में 

छुक-छुक करती रेल में।


इलैक्ट्रोनिक के अविष्कार ने 

टी.वी, मोबाइल के चमत्कार ने 

खेलकूद सब छीन लिया 

अपंग अपाहिज कर दिया 

संवेदनाएं शून्य हो रही 

घिर रहे विकृत मानसिकता से 

लड़ कर बीमारियों से 

जीवन कठिन कठोर हो गया 

बचपन कहीं गुम हो गया 

जन्मते ही दुश्वार हो गया। 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract