मत छीनो बचपन
मत छीनो बचपन
मत छीनो बचपन
जीने दो इन बच्चों को
लादो मत शिक्षा का बोझ
मत छीनो बचपना इन का
बदलो मत इनकी सोच
दूध पीने की उम्र में
छीन कर माँ की गोद
बोझ देकर बस्ते का
भेज रहे स्कूल में
सीख जाते खेल खेल में
कला ये जीवन जीने की
परस्पर सहयोग से
सुख-दुख बांटने की।
भेद नहीं जाति-धर्म का
रहते संगठित होकर हरदम
बंद करके तन की आँखों को
मन की आँखों से करते कर्म
लुका छिपी का खेल हो
या खेलना हो पानी में
पकड़ा-पकड़ी भागम-भाग
अक्कड़ बक्कड़ बम्बे बो
ज्ञान छिपा है इन खेल में
छुक-छुक करती रेल में।
इलैक्ट्रोनिक के अविष्कार ने
टी.वी, मोबाइल के चमत्कार ने
खेलकूद सब छीन लिया
अपंग अपाहिज कर दिया
संवेदनाएं शून्य हो रही
घिर रहे विकृत मानसिकता से
लड़ कर बीमारियों से
जीवन कठिन कठोर हो गया
बचपन कहीं गुम हो गया
जन्मते ही दुश्वार हो गया।