मुक्तक
मुक्तक
समुंदर-सी,
खार है जिंदगी,
जाने क्यों,
उदास है जिंदगी।
सूूूखे नल,
प्यासे अधरों की,
प्यास है जिंंदगी।।
जिंंदगी की धूप,
काट ली हमने हँसी,
शाम के इंतजार में।
जो उगल न सके,
निगल भी न सकेे,
वो फास है जिंदगी।।
समुंदर-सी,
खार है जिंदगी,
जाने क्यों,
उदास है जिंदगी।
सूूूखे नल,
प्यासे अधरों की,
प्यास है जिंंदगी।।
जिंंदगी की धूप,
काट ली हमने हँसी,
शाम के इंतजार में।
जो उगल न सके,
निगल भी न सकेे,
वो फास है जिंदगी।।