दो पल और साथ...। दो पल और साथ...।
मन की व्याकुलता के बारे में कुछ...। मन की व्याकुलता के बारे में कुछ...।
निगल भी न सकेे, वो फास है जिंदगी...! निगल भी न सकेे, वो फास है जिंदगी...!
रोज मारता है रोज मरता है रोज प्रस्फुटित होता है रावण। रोज मारता है रोज मरता है रोज प्रस्फुटित होता है रावण।
ये क्या ‐--------- कैसा इन्तजार..... ये मुस्कान भी कैसी ? ये क्या ‐--------- कैसा इन्तजार..... ये मुस्कान भी कैसी ?