मुक्त
मुक्त
मैं मुक्त हूँ अब
भावनाओं से
भूमिकाओं से
बोझिल रिश्तों से
खाली पैर
और खाली हाथ
चलना है
पिछला कुछ लिया नहीं
आगे शायद जल्दी
कुछ मिलेगा नहीं
अब शून्य हूँ
निःशब्द हूँ
मौन हूँ
पर भीतर
तूफान मचा है
किससे कहूँ
किसे समझाऊं
मुक्त होकर भी
मौन पसरा है
मेरे रोम-रोम में ।