उम्मीद ।
उम्मीद ।
मुश्किल से हासिल हुईं खुशियां,
कैसे कुछ बुरे हालातों के चलते
हमने मुस्कुराना छोड़ दिया।
नसीब को कोसने से बेहतर था,
कुछ कर गुजरने का माद्दा रखते हम,
ना जाने क्यों मयूसी का हाथ थाम
कर उम्मीद का दामन छोड़ दिया।
हर रात की खामोशी में
चहकती सुबह की खुशबू होती है,
फिर कैसे हमने उस रात के अंधेरे को
किस्मत समझ कर आने वाले
सवेरे से अपना नाता तोड़ दिया।