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Bharat Thacker

Drama

5.0  

Bharat Thacker

Drama

बेटी

बेटी

1 min
514


उर से उर का द्स्तूर है बेटी

बाप की आंखो का नूर है बेटी

सुनके मिले भगवान को भी सुकून

रिश्तों के संगीत का वो सुर है बेटी


बेटी सुख का सागर है

बेटी प्यार की गागर है

बेटी बंटती है दो भागो में

बेटी दो घरो की उजागर है


मोम सा दिल लिये मुलायम होती है

बेटी की याद कायम होती है

बेटी नसीब वालों को नसीब होती है

बेटी हर गम का मरहम होती है


बेटी की शादी में, अपनो की आंखे नम होती है

बेटी की शादी शुभ होते हुए भी सितम होती है

बेटी की शादी है अजब कशिश का प्रसंग

बेटी की शादी होते ही बाप की उम्र कम होती है


बेटा पाने के लिये कुछ लोग बेशरम होते है

कोख को बेटी की कब्र बनाने तक बेरहम होते है

कुदरत की इस सच्चाई को क्यो नही समझते ये लोग ?

बेटा हो या बेटी, दोनो समान रूप से सक्षम होते है।


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