मेरी ख़्वाहिश
मेरी ख़्वाहिश
मेरी ख्वाहिश है मैं ऐसा मकान हो जाऊँ
रहूँ ज़मीं पे मगर आसमान हो जाऊँ।
हुआ जो सच तो ज़लालत दंबोच लेगी मुझे
मै सोचता हूँ कि झूठा बयान हो जाऊँ।
मैं इज़तराब हूँ बंदिश है बंदगी मेरी
खुदा करे मैं तेरा इत्मिनान हो जाऊँ।
चिराग बन के हवाओं से जंग हो मेरी
मैं हार जाऊँ मगर कामरान हो जाऊँ।
मेरे हबीब कुछ ऐसा हो तअल्लुक अपना
कि तीर आप बनो मैं कमान हो जाऊँ।
हकीकतों के सफ़र दिल-ख़राश होते हैं
मैं मख़मली सी कोई दास्तान हो जाऊँ।