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Alka Srivastava

Drama

5.0  

Alka Srivastava

Drama

बापू

बापू

1 min
370


बापू,

मैं तुम्हारी वही छोटी गुड़िया, वही नन्ही परी हूँ,

तो क्या हुआ जो दूसरे घर जा रही हूँ,

दिल में तो तुम्हारे ही रहूँगी,

चाँद का टुकड़ा भी तुम्हारा ही रहूंगी।


बापू, मुझे याद है,

माँ ने मुझे जीवन का पाठ पढ़ाया था,

और तुमने मेरा हाथ पकड़ कर चलना सिखाया था

माँ ने मुझे परियों की कहानी सुनायी थी,

पर तुमने जीवन की सच्चाई बतलायी थी।


बापू, मुझे ये भी याद है,

जब भी मुझको कोई तकलीफ़ होती,

माँ की आँखें नम हो जाती,

तुम्हारा दिल भी रोने लगता,

पर तुम्हारे आँसू मैं देख न पाती।


बापू, आज मैं अपनी ससुराल जा रही हूँ,

पर अपना बचपन तुम्हें दिये जा रही हूँ

इसको तुम सहेज कर रखना,

मैं जब-जब अपने घर आऊँगी,

इनमें ही अपनी खुशियाँ पाऊँगी।


लेकिन बापू,

जब तुम मुझको विदा करना,

तब अपने आँसू आँखों में रोक कर रखना,

मैं तुम्हारे आँसू देख न पाऊँगी,

और खुशी-खुशी ससुराल भी न जा पाऊँगी।


बस बापू,

मुझको इतना आशीर्वाद भर देना,

कि मैं तुम्हारे दिये संस्कारों को भूल न पाऊँ,

और अपनी ससुराल में तुम्हारा मान बढ़ाऊँ...।।


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