मजबूर कर दिया
मजबूर कर दिया
सादगि ने किसी को इतना मजबूर क्यूँ कर दिया,
सपने देखना ही छोड़ दिए,
जो हक़ीक़त ने सपनो का ज़िक्र कर दिया!
मोहब्बत में गिर गये हम इतना क्यूँ ऐ सनम,
की कमाया हुआ मगरूर बरसों का,
सारा तुझपे खर्च कर दिया!
दे दी सज़ा खुदा ने भी,
उस चाहत की, उस इबादत की,
जो उसके हक से चुरा के,
मैने महबूब को दे दिया!
सादगि ने किसी को क्यूँ इतना मजबूर कर दिया!!