फिर मिलेंगे यार!
फिर मिलेंगे यार!
खूबसूरत सफर, जो ना खत्म होता,
तो यादें ना बन पाती,
जानते हुए जवाब, जो ना किसी से कुछ बयान किया होता,
तो यादें बस हमारी बन के रह जाती,
मुसाफिर हैं हम, ये मान लो तुम,
जो कहीं से उठ के, कहीं जाना ना होता,
तो शायद तुमसे मुलाकात ना हो पाती!
गम होता है, तकलीफ होती है, बेशक,
पर यही कीमत है यादें बनाने की,
जो ना किया होता अलविदा हँस के,
तो गिला, कहीं कोई रह जाती!
कोई हक़ नहीं, कोई वादा नहीं,
रास्ते घूम के फिर हमें वहीं लाएंगे,
बैठेंगे महफ़िल में, फिर से हम यारों की,
छेड़ पुरानी दास्तान, यादें फिर हम बनाएंगे!
