विश्वास
विश्वास
नेह की किसी से आस नहीं,
अब धर्म संग लगाई प्रीत,
दुख का समुंदर पार किया,
सुख की कोई चाह नहीं,
बनीं रहे बस हिम्मत इतनी,
यह राह नहीं लगे कठिन ॥
मुश्किल है साथ किसी का,
हौसला नहीं फिर भी कम,
प्रभु नाम ही काफ़ी हैं,
अब काफिर हम नहीं,
मंज़िल तो पा ही लेंगे,
विश्वास हमारा कहें यही ॥
