Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Rashmi Prabha

Abstract

5.0  

Rashmi Prabha

Abstract

काश ! मान लिया होता

काश ! मान लिया होता

1 min
455


बुरा लगता है

जब कोई सिखाने लगता है अपने अनुभवों से

लेकिन, फिर एकांत हो या भीड़

ज़िन्दगी भर

हथौड़े की तरह यह बात पीछा करती है

"काश ! मान लिया होता"


धैर्य ज़रूरी है,

समझना होगा - कोई यूँ ही नहीं बोलता

विशेषकर, "माँ" !

उसकी आँखों में

उसकी बेचैन करवटों में

उसके भयभीत लम्हों में...


ऐसी न जाने कितनी बातें होती हैं,

जो वह कहती नहीं,

पर रोकती है,

हिदायतें देती है,


झल्लाना एक दिन पछतावा बन जाता है

और फिर शुरू होता है वही सिलसिला

जब तुम्हारे अनुभवी विचार

अपने से छोटे का हाथ पकड़कर कहते हैं,

इतना ज़रूरी तो नहीं...


विशेषकर उनको,

जिनको तुमने गोद में उठाया हो

जिनके रोने पर तुम्हें नींद न आई हो

सोचो,

जब वे नहीं सुनेंगे,तो कैसा लगेगा !

कितने सारे दृश्य तुम्हें मथेंगे

और ....


बता पाना मुश्किल होता है

बहुत मुश्किल !

इसलिए,

मान लेना चाहिए,

मान लेना कुछ दिन की उदासी हो सकती है

लेकिन नहीं मानना... !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract