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Sudhir Srivastava

Abstract

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Sudhir Srivastava

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सत्य कहो, स्पष्ट कहो

सत्य कहो, स्पष्ट कहो

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जो भी कहो, जब भी कहो

सत्य कहो, स्पष्ट कहो,

खुद पर विश्वास रखकर कहो,

बिना किसी दबाव, लाग लपेट के

बेखौफ़ होकर कहो।


क्योंकि सत्य छुपा नहीं पाओगे,

झूठ के पाँवों से भागकर

कभी बच नहीं पाओगे,

उल्टे अपमान और जिल्लत का

बोझ लिए सूकून की साँस भला

कब तक ले पाओगे ?


रेत के महलों की भला

उम्र कितनी होगी?

झूठ की बैसाखी भला

कब तक सहारा देगी ?


एक सच छुपाने के लिए

सौ सौ झूठ बोलने पड़ेंगे,

फिर भी सच सामने आकर

सबके बीच चीखने लगेंगे।


सत्य सदा ही विजयी रहा है

ये अलग बात है कि

झूठ के चक्रव्यूह में उलझता रहा है,

फिर बड़ी शान से

भेदकर झूठ का चक्रव्यूह

बेदाग सदा से ही मुस्करा रहा है।


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