सीधी बात
सीधी बात
सुनो छोड़ो ना, भुला देते है ना सब कुछ
करते है ना हम अब से नयी शुरुआत
आज से ही हम - तुम करेंगे सीधी बात
करो न, तुम ये वादा अब से
नहीं छुपाओगे कुछ भी मुझसे
मुझे भरोसा है पूरा तुम पर
करो विश्वास तुम भी मुझ पर
रोज़ की तरह तुम जब ऑफिस के लिए जाओगे
आपका नाश्ता मैं,
क्या मेरे लिए एक कप चाय तुम बनाओगे
थोड़ा समय निकाल कर ,
क्या दिन में मुझे एक कॉल लगाओगे
शाम को जब तुम ऑफ़िस से घर आओगे
तुम्हारी पसंद का खाना, तुम मेरे साथ खाओगे
मोबाइल एक तरफ़ रख कर, मेरे साथ समय बिताओगे
मैं भी तुमसे अब किसी बात पर नहीं लड़ूँगी
तुम्हारी हर छोटी - छोटी इच्छा का ख़याल रखूँगी
आज से मैं भी तुमसे सीधी बात करूँगी
जो कहना है सब स्पष्ट ही कहूँगी
हम अपनी कमियों पर अब झगड़ा नहीं करेंगे
मिल कर एक दूसरे के साथ प्यार से रहेंगे
सुनो छुट्टी वाले दिन हम दोनों एक साथ काम करेंगे
हाँ ! अगर मन, ना हो तुम्हारा तो साफ़ - साफ़ कहोगे
अगर तुम्हें ये दिन अपने दोस्तों के साथ बिताना है
बेशक ! तुम चले जाना पर ज़्यादा समय नहीं
कुछ वक्त मेरे लिए भी निकालोगे
एक सीधी बात और कहूँ मेरे लिए तो सिर्फ तुम ही मेरी ज़िंदगी ,
मेरे हमसफ़र, मेरी साँसे और धड़कन भी तुम ही हो
तुम्हें आसमान की तरह अथाह चाहा है
तुम्हें हमेशा मैंने खुद में ही पाया है
ये साथ हमारा ऐसा ही बना रहे
हर मन्नत में मैंने रब से ऐसा ही चाहा है