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Sudhi Siddharth

Abstract

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Sudhi Siddharth

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हम किसी से कम नहीं

हम किसी से कम नहीं

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अब स्पष्ट है भ्रम नहीं

हम किसी से कम नहीं

सुप्त चेतना को नई धार दो।


ये काश वाश झाड़ दो

शब्दों से दहाड़ लो

खुद को अपने होने का प्रमाण दो।


अब स्पष्ट है, भ्रम नहीं

अब शोक ना रुदन करो

कांच सा ना मन करो

जलाके बीती बात को बिसार दो।


अब लहरों से क्या भागना

चल सागर पे तू घर बना

विश्वास तेरा एक नया तूफ़ान हो।


अब स्पष्ट है, भ्रम नहीं

अब साम दाम दंड क्या

इस विश्व का घमंड क्या

ब्रमांड गूंजे ऐसी कदमताल हो।


अब आन बान शान तुम 

हर स्वप्न का अभिमान तुम 

खींच स्वर्ग धरती पर उतार लो

अब स्पष्ट है भ्रम नहीं

हम किसी से कम नहीं।


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