चाय में थोड़ी शक्कर कम है
चाय में थोड़ी शक्कर कम है
चलिए..आज फिर से मुस्कुराते है
नुक्कड़ पर बैठकर कुछ किस्से सुनाते हैं
बातें बहुत है पर टाइम कम है,
अरे चाचा, आज की चाय मे थोड़ी शक्कर कम है।
जी हाँ, ये है हमारे चाचा दफ्तर के बाहर एक
छोटी सी दुकान लगाते हैं
चाय का डिपार्टमेंट इनका है,
पर ब्रेड पकोड़े, समोसे और भजिया
चाची से बनवाते हैं।
रोज़ संसद लगती है यहाँ,
बड़े बड़े मसले मिंटो में सुलझाए जाते हैं
इसलिए तो हम ऑफिस से पहले
यहाँ पर अटेंडेंस लगाते हैं।
अजीब रिश्ता है हमारा यहाँ से,
इन्क्रीमेंट की टेंशन, बॉस की गालियाँ
एक तरफ़ा इश्क़ या फिर कोई भी मियादी बुखार
सबकी गोलियों को चाय के साथ गटका जाता है
पर भाई कुछ भी हो मज़ा बहुत आता है।
सुबह सुबह मिलते है अलग अलग कॅरक्टर
कुछ ब्रांड न्यू तो कुछ रेगुलर,
कोई ट्रेजेडी को सुट्टे में उड़ाता हैं तो कोई
नोटबंदी में भी 2000 का नोट दिखाता है।
सबका खाता चलता हैं यहाँ महीने के
आखरी दिनों में सबका दम निकलता है यहाँ
कोई 50 रुपया भी EMI में चुकाता है और कोई
हज़ारों का हिसाब भी चुटकी में कर जाता है।
हमारी माली हालत शहनशाहों सी हो जाती है
जब चाची डाँट डाटकर गरम गरम भजिया खिलाती है
जादू की झप्पी, होली की गुजिया, पूड़ी और आम का आचार
चाची की इस विरासत की मैं इकलौती हक़दार।
आज भी जब इन यादों को
उलटती हूँ तो मीठा सा दर्द होता है
आज पता चला दुआओ मैं कितना असर होता हैं
नहीं नहीं इमोशनल होने की नहीं हो रही है
देखो जी हमने पहले ही कहा था
कि चलिए आज फिर मुस्कुराते है।
अश्कों का क्या है ये तो आज भी
हमारे गालों को सहला जाते हैं
जब भी हम चाचा चाची से फ़ोन पर बतियाते हैं।
हाँ सही सुना आपने ज़िन्दगी का पता बदल गया है
इसीलिए फ़ोन से ही काम चलाते है
बहुत देर हो गई बाकी का किस्सा बाद में सुनाते हैं।