ख़ुद मुख़्तारी
ख़ुद मुख़्तारी
जाओ अय्याशियां करो
आवारा घूमो
कुछ बदमाशियां करो
तोड़ दो सारे ज़ेहनी ताले
जंजीरो को आग पिलाओ
पुराने मलबूस छोड़ो
नया आसमां बनाओ
उड़ो परवाज़ ऐसी
कोई सदा सुनाई न दे
और चीखें ऐसी
दुनिया की हर शय हिले
किसको क्या दिया
किससे क्या मिला
क्यों सोचते हो
सब कहानी है
जो बीत गया सो बीत गया
हर फ़िक़रा बेमानी है
तुम मेरे अक़्स हो
तुम मेरे ख़्वाब हो
बेफ़िक्र रहो आबाद रहो
जहा भी रहो आज़ाद रहो
ज़ेहनी-Intellectual मलबूस-Clothes परवाज़-Flight सदा-Ring/Call/Shout शय-Thing फ़िक़रा-Sentence बेमानी–Meaningless अक़्स-Shad