आशा ही जिंदगी हैं ...
आशा ही जिंदगी हैं ...
आशा हमें सक्रिय बनाती है, जीना सिखाती है..
आशा हमें रुलाती है और लड़ना भी सिखाती है !
आशा जिंदा रहने के लिये बेहद ज़रुरी है....
आशा हमसे कुछ भी अच्छे-बुरे काम करवाती है !
आशा कभी नाजायज़, कभी झूठी,फरेबी और मक्कार भी होती है ...
आशा कि परवरिश सही ढंग से नहीं हुई तो कहर ढाती है !
कुछ भी कहो मगर आशा हर किसी को लुभाती है ...
आशा कभी काटे कि तरह चुभती है, तो कभी ज़िदगी संवारती है !
सोचो आगर आशा ही नहीं होती, तो क्या होता ?
आशा जीने का सहारा है, उसी ने हमें संवारा है !
आशा के बिना हम जिंदा ही नहीं रह पाते...
आशा ही जिंदगी है ...जीने की परिभाषा है! ...