नौजवान हिन्दुस्तान के।
नौजवान हिन्दुस्तान के।
नौजवान हिन्दुस्तान के बिगड़ते जा रहे हैं,
ये फ़िल्मों को देखकर बिगड़ते जा रहे हैं।
फ़िल्मों में सब काल्पनिक बताया गया है,
नौजवान ये सब देखकर बिगडे़ जा रहे हैं।
जो कुछ भी फ़िल्मों में दिखाया जाता है,
देखने वाले ज़्यादातर हक़ीक़त मानते हैं।
फ़िल्म में हीरो कानून व्यवस्था भंग करते,
ये दर्शकों के दिमाग़ को मुज़रिम बनाते हैं।
हीरो कानून व्यवस्था का मज़ाक उड़ा कर,
कानून तोड़ के हीरो को सही दिखाया तो।
कुछ नादान नौजवान व किशोरावस्था के,
वो सब हक़ीक़त में कर अपराधी बनते हैं।
