ज़िंदगी
ज़िंदगी
जिन्दगी बड़ी
अजीब है
कभी हंसाती है
कभी रूलाती है ।
पल पल में अपना
रूप बदलती है ।
खुशियाँ तो आती है
फिर चली जाती है ।
जाते ही गम दे जाती है ।
गम हो दुख हों बहुत
बेदर्दी से सताते है ।
सारी खुशियाँ पल
भर में मिट जाती है ।
जिन्दगी है सुख दुख
के झूले मे झूलती है ।
सपनो सी ये जिन्दगी
धूप छाँव सी बदलती है ।
खुशियाँ हो सुखी
जीवन हो गुज़रते
बीतते समय का
पता ही नही चलता है ।
पंख लगाये उड़ता है ।
जीने का हौसला बढता है ।
खुशबू सा महकता है ।
चाँद को तारो को
छूने का मन करता है ।
जिन्दगी के हर अरमानो
को खुशी से जीता है ।
बचपन युवा जवानी
बुढापे मे भी खुश होता है
सुख दुख भरी ये जिन्दगी
हर इन्सान ऐसे ही जीता है ।