आदिदेव शंकर त्रिपुरारी
आदिदेव शंकर त्रिपुरारी
आदिदेव शंकर त्रिपुरारी
हमपर अब कर दो उपकार
द्वार पे तेरे आकर मेरा
जीवन हो जाए साकार -
कब से आस लगाए बैठा
तेरे दर्शन को संसार,
स्वयं को खोकर तुझको पा लूं
मिट जाए मन का अंधियार,
तेरे चरणों में मिल जाए
मुझको खुशियों का अंबार,
तेरा नाम जपूं जब तक हूं
दूं जीवन को नव आकार।
