पोपटलाल की पुकार
पोपटलाल की पुकार
(तारक महेता का उलटा चश्मा के किरदार पे)
(एक कच्छी कविता के आधार पे)
दिल के फूल खिला दो प्यारो
मेरी भी बात चला दो यारो
शादी के लड्डू खाने है, चाहे दांत हो गये ढीले
शादी की बात जचती, चाहे लोग करते गीले
शादी की बात के शरु तो हो सिलसिले
चाहे बाल पक के हो गये है पीले
मेरी भी बात चला दो यारो
पतली मोटी में माह गये, काली गोरी मे साल
ठींगु-लंबी में गया जमाना, उम्र हो गइ हलाल
एक मोका मिलने का है सवाल
गाड़ी चढ़ जाये पट्टरी पे, हो जाय कमाल
मेरी भी बात चला दो यारो
जितनी गइ उतनी तो बची नहीं, उम्र बची है कम
बात थोडी लंबी खीच गइ, देरी का है गम
आपकी शुभ कामनाओ की छेड दो सरगम
देर आये दुरस्त आये वाली बात जाएगी जम
मेरी भी बात चला दो यारो
दूसरों की देख देख के बारात
चोट पे चोट खाते हैं जज्बात
मौका मिलते ही छेड देना बात
बुराई हमारी मत करना, बना देना बात
मेरी भी बात चला दो यारो
क्यों नहीं खाता मेल मेरा, क्यों खाता हूँ मार
शनि-राहु का मेल मिले तो ब्राह्म्ण होता बीमार
ऐसा कुछ कर ओ मेरे परवरदिगार
अब जल्दी से हो जाये मेरा बेडा पार।