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Ranjana Khedkar

Classics

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Ranjana Khedkar

Classics

फुलवात (द्रोणकाव्य)

फुलवात (द्रोणकाव्य)

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सांजवेळी मंदिरी  

जळे फुलवात 

मंद सुगंध 

परसात 

गंधली 

रात 

ही 


भजन कीर्तनात 

फुलवात जळे 

आरती गात 

फुले मळे 

आनंद 

झळे 

ही  


धूप दीप नैवेद्य 

करू पंचारती 

सुख आनंद 

विखुरती 

संसार 

नाती 

ही 


सांजसकाळी नित्य 

फुलवात लावा 

सकारात्मक 

बोध व्हावा 

वारसा 

द्यावा 

हो 


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