मी एक नारी
मी एक नारी
सोशिक कोमल। सृजन स्वरूप।
माझे नारी रुप।अद्वितिय।
घरादारासाठी। नेहमी राबते।
किती खस्ता खाते। माप नाही।
लेकरे सर्वस्व। पती परमेश।
प्रेमळ आवेश। मातृत्वाचा।
सेवाभाव वृत्ती। माझ्यात सदैव।
कृतार्थता भाव।अंतरात।
पंखाना मिळाले। ज्ञानरूपी बळ।
विज्ञानाशी नाळ। जोडते मी।
उध्दारुन दोन्ही। कुळे कर्तृत्वाने।
धन्य दातृत्वाने। त्रिखंडात।
निरपेक्ष प्रेम। मिळावा आदर।
मानव्याचे सार। हेच असे।