Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win

Amruta Thakar

Romance

3.6  

Amruta Thakar

Romance

यूँ ही कोई मिल गया था

यूँ ही कोई मिल गया था

3 mins
111


कल्पना मे जीना क्या गलत बात है ? नहींं। गलत नहीं हे जब वास्तविकता में आप समुह में तो रहती हे पर आपका कोइ नहीं हो तब ये मनतरंग ही आपके जीने का सहारा बन जाते हैं।

अंकिता जहा विवाह करके आइ है वह परिवार एसे तो बहुत बड़ा हे पर ये परिवार में अपना वजुद समजाने के लिए या युं समजिए के खुद को टिकाने के लिएं चालाकी और अपने को होशियार दिखाने की बहुत जरूर है और अंकिता तो हे ही पागल। सब जानते थे के अपनी कोइ बात सीधी करवानी हो तो बली का बकरा अंकिता को बनालो अंकिता के भोलेपन का फायदा सब उठाते थे।

और इसके पतिदेव की बात ही मत पूछो। ये महाशय का समाज में बड़ नाम है ।वैसे तो सुधीर ( अंकिता का पति) ये दीखाने मे सफल हो गए हे की अंकिता की सारी जरूरतें वह बड़ शोख से पुरा करते हैं और मध्यम श्रेणी के परिवार से आइ अंकिता का अहोभाग्य हे के वह हमारे परिवार में सामील हुवी हे। बुद्धीजीवी और अपने खुन में विश्वास और प्रेम की जगह चालाकी लेके आये सुधीर का पलड़ा ही अंकिता के अंगत और बाह्य जीवन में भारी रहेता।

एसे मे वह बिचारी क्या करती? बिचारी ही थी खुद के मायके में सब बडे सुखी थे वहा भी सबको ये गुमान था कि भली और दुनियादारी से अंजान और ठिकठाक सी अंकिता का रिश्ता सुधीर के साथ हुवा था।

और अंकिता खुद भी शादी के इतने सालों बाद किसी को कुछ नहींं बताना चाहती थी।

हा। अब वह सबको पहेचान गई हैं सुधीर जेसे खुन में चालाकी ये तो उसके बस की बात नहींं है पर अब मौन रहकर बली का बकरा वह नहीं बनती ।

अब कोई फर्क नहींं पड़ता उसे सुधीर के बनावटी मेकपंया स्त्रीमीत्रो से या सुधीर के व्यंग से।

अकेलेपन को ओढ़े हुए अंकिता के जिवन में आया है बेनाम सा रिश्ता 

अब हाथो में हाथ लीए आंख-मिचौली खेलने की उम्र निमेष और अंकिता की नहींं थी। दोनों भरे परिवार बिच लदे हुवे अकेले इन्सान थे। 

वेसे निमेष तो बड़ी और खुबसूरत पर्सनालिटी वाला और उच्च कारोबार वाला था। और अंकिता सीधी-सादी और सामान्य थी। बस एकबार अपने दुर के रिश्तेदार के साथ एक समारोह मे निमेष को वह मीली थी । थोड़े समय की मुलाकात ने दोनो को भावनात्मक सबंध से जोड़ दीया कुछ अजीब से स्पंदन एक दुसरे को देखकर उठ रहे थे।

फिर कभी भी मीलना नहींं हुवा और कभी मीलेगे या नहीं ये भी पता नहींं। दोनों एक-दूसरे के बारे मे अपने आसपास से जान लेते थे। और अपने मन मे दोनोें एक-दुसरे के लिए जीते भी थे। दोनों अपने जीवन मे अकेले थे पर एक दुसरे का नाम और वजुद ही दोनों के जीवन को भर देता था। दोनो के परिवार थे। हमेशा परिवार को समर्पित दोनो को स्वार्थ और धुत्कार ही मीला था। पर सीर्फ एक मुलाकात मे एकदुसरे से गहन भावनात्मक संबंध से जुड़ गये थे

अब शब्द और मील ने की भी कोय परवाह नहींं थी और ये भाव ये बेनाम सा प्रेम उन दोनों के जिवन को महका रहा हे ।और ये कोई बेवफाई भी नहींं है।


Rate this content
Log in

More hindi story from Amruta Thakar

Similar hindi story from Romance