Amruta Thakar

Inspirational Others

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Amruta Thakar

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रक्त सम्बन्ध

रक्त सम्बन्ध

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सुबह सुबह ही दरवाज़े की कॉल बेल बज उठी।

 " आ..प~~?? । अस्पताल से छुट्टी मिल गई ? "

" जी, कल ही घर लौटा हूँ। अस्पताल से आपका पता मिला। आपका शुक्रिया अदा करना चाहता था।

 रंजना की आंखों में चार छः दिन पहले की घटना घूम गई। कॉलेज के रास्ते में भीड़ देखकर वह रुक गई थी। सड़क पर एक व्यक्ति लहुलुहान पड़ा था। भीड़ चारों तरफ खड़ी थी।

" कौन पुलिस के झमेले में पड़े।"

" पता नहीं कौन है।"

" ये भी नहीं जानते कहानी क्या है।" 

वह बोल उठी

" आप लोग खड़े बातें ही बना रहे हैं .. कोई इसे अस्पताल क्यों नहीं ले जा रहे"

" अरे, बहन जी, आपको समाज सेवा का शौक है आप ही ले जाओ "

उसने गुस्से में भरकर टैक्सी बुलाई

" टैक्सी .. टैक्सी ... जरा अस्पताल ले लो भइया...।"

"डॉक्टर साहब, पहले जरा इस इमरजेंसी केस को देखें..। पुलिस की फॉरमैलिटी मैं पूरी कर दूंगी।"

"नर्स, देखो कुछ परिचय, कागज पत्र वगैरह मिलें तो रजिस्टर में दाखिल करवा दो।

अपना पता वगैरह काउंटर पर लिखवा दें। "


" खून बहुत बह गया है। तुरंत खून चाहिए।" 

" बेड नम्बर पांच को खून कौन देगा ..."

" मैं "

"लिखो रोगी का नाम ... रजब अली ..

डोनर का नाम ..रंजना .."


उसने पुनः दरवाज़े की ओर देखा

"कहिए..।"

 " आप से एक फरमाईश अर्ज करनी थी।"

कह कर उसने पॉकेट से एक राखी निकाली।

 " जी, पर आज तो राखी नहीं है। बहनें रक्षाबंधन पर राखी बांधती हैं। "

" जी, पर मुझे आपसे नहीं आपको राखी बांधनी है।"

" जी ~~~!! " 

" जी हाँ, मैंने सुना है राखी पर रक्षक का हक बनता है। आपने मेरी रक्षा की है, सिर्फ कज़ा से ही नही बहुत सी बुराइयों के दलदल से भी..। फिर अब हमारा खून का रिश्ता भी तो है। "



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