योग्यता
योग्यता
निया मेहरा, आई ए एस।
शहर में आज की सबसे चर्चित महिला अधिकारी।
"कमल चोपड़ा का रिश्ता फिर से आया है बेटी। तुझ में अब बहुत इन्टरेस्टेड है।" माँ खुशी से बोलीं।
"सुना है पहली बीवी से तलाक"
"नहीं माँ। कह दीजिए लड़का तलाकशुदा है। हमारी लड़की तो कुंवारी है।"
"उसके संग क्या मेल?"
धीरे बोल। वे बाहर बैठक में बैठे हैं।
ऊंचे स्वर में निया लड़के वालों को सुनाते हुए बोली "कह दो लड़की इन्टरेस्टेड नहीं।"
निया के जेहन में सब कुछ जैसे ताज़ा हो आया। सब कुछ जैसे कल की ही बात हो -
"हाई क्वालिफाइड है तो क्या करें साहब। सब ठीक है लेकिन लड़की का रंग पक्का है। हमारा बेटा कमल तो एक्साइज कमिश्नर की हायर पोस्ट पर होने के साथ-साथ एकदम स्नो व्हाइट है। नहीं चलेगा। " निया के कानों किसी ने फिर से सीसा घोल दिया था ।
फिर वही दोहराव
नहीं अब और नहीं
बस आज दि एण्ड इस नाटक का।
लड़के वालों के जाने के बाद
"माँ-पापा ! हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि अब यह ड्रामा यहीं खत्म करिए प्लीज़।"
"मैं शादी की बिल्कुल भी इच्छुक नहीं।"
" कृपया मुझे मेरे कैरियर पर ध्यान देने दें।"
"बेटी लड़की बिन ब्याह रहती है क्या। फिर हमारे बाद तेरा क्या" माँ ने वह रटा रटाया वाक्य दोहराया था।
उस दिन पहली बार निया सिलेक्शन में फेल होने पर फूट-फूटकर रोई नहीं अपितु उबली थी।
" माँ क्यों बेवजह डराती रही हैं हमारी पुरानी महिला पीढ़ी अपनी हर अगली पीढ़ी को।"
" पुरुष वर्ग कभी अपने युवाओं को हताश करते बल्कि अपने से अधिक प्रोत्साहित कर स्वयं से अधिक की उम्मीद उनसे करते हैं। "
" नारी भी नारी का साथ दे तो क्या नहीं कर सकती।"
"मुझे मेरा लक्ष्य हासिल तो करने दें।"
" एक दिन मैं भी इस मुकाम पर होंगी कि किसी को सिरे से खारिज कर सकूँ। "
और
ईश्वर की कृपा से निया के जीवन में वह आशा की किरण आज जगमगा उठी थी।